HI/Prabhupada 0357 -मैं एक क्रांति शुरू करना चाहता हूँ नास्तिक सभ्यता के खिलाफ



Morning Walk -- December 11, 1973, Los Angeles

प्रभुपाद: मेरा स्वास्थ्य हमेशा अच्छा नहीं रहता । फिर भी, क्यों मैं कोशिश कर रहा हूँ ? यही मेरी महत्वाकांक्षा है । मैं एक क्रांति शुरू करना चाहता हूँ । उनकी नास्तिक सभ्यता, नास्तिक सभ्यता के खिलाफ़। यही मेरी महत्वाकांक्षा है। इस लाइन में शिक्षित होने और नेतृत्व करने के लिए अमेरिका सबसे अच्छा व्यक्ति होगा, नेता बनने के लिए । वे पहले से ही नेता हैं, लेकिन अब असली नेता बनना चाहिए, ताकि पूरी दुनिया खुश हो सकती है । वो दिशा मैं दे सकता हुूँ । अगर सर्वोच्च अमेरिकी सज्जन मेरे पास आता है तो, मैं उन्हें दिशा दे सकता हूँ कि वे दुनिया के नेता कैसे बन सकते हैं । वास्तविक नेता, फर्ज़ी नेता नहीं । क्योंकि भगवान ने इतनी सारी चीजें उनके पक्ष में की है । और यह आंदोलन अमरिका से शुरू किया गया है । मैंने न्यूयॉर्क से यह आंदोलन शुरू किया । तो इसे सरकार को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए । (तोड़)

हृदयानन्द: आप कह रहे है की अमरिका सबसे महत्वपूर्ण हैं ?

प्रभुपाद: हाँ ।

हृदयानन्द: अापको लगता है ...

प्रभुपाद: इसलिए तुम्हारे देश में अाया...

हृदयानन्द: तो शायद ...

प्रभुपाद: ... क्योंकि तुम सबसे महत्वपूर्ण हो । अब तुम्हें चाहिए ... मेरे मार्गदर्शन से तुम असली महत्वपूर्ण बनो, नकली नहीं ।

हृदयानन्द: तो शायद मुझे यहाँ रह कर उपदेश देना चाहिए ।

प्रभुपाद: आह?

हृदयानन्द: यह इतना महत्वपूर्ण है, तो मुझे लगता है कि मुझे यहाँ रह कर रूपानुग की मदद करनी चाहिए ।

प्रभुपाद: हाँ । अापने पूरे राष्ट्र को बदल दो, भगवद भावनामृत में, क्योंकि वे संविधान में घोषित करते हैं, "भगवान में हमें भरोसा है ।" अब उन्हें इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए । यह "भगवान" से क्या मतलब है ? यह "विश्वास" से क्या मतलब है ? तुम यह प्रचार लो । हम वास्तव में कर रहे हैं । हम भगवान में विश्वास करते हैं, इसलिए हमनें भगवान के लिए अपना पूरा जीवन का बलिदान किया है । यही भगवान में विश्वास है । ऐसा नहीं कि पार्लर में धूम्रपान, और तुम भगवान में विश्वास करते हो । इस तरह का विश्वास नहीं । सच्चा विश्वास ।