HI/Prabhupada 0570 - पति और पत्नी के बीच गलतफहमी हो तो भी तलाक का सवाल ही नहीं था
Press Interview -- December 30, 1968, Los Angeles
पत्रकार: भारत में ज्यादा तलाक है ?
प्रभुपाद: हाँ । आधुनिक, तथाकथित उन्नत लड़के और लड़कियॉ, वे तलाक के पीछे हैं । लेकिन उससे पहले, पति और पत्नी के बीच गलतफहमी हो भी तो, झगड़ा, तलाक का सवाल ही नहीं था | मेरे जीवन को ही ले लो, व्यावहारिक । मैं एक गृहस्थ था । अब मैंने त्याग दिया है । तो व्यावहारिक रूप से मैं अपनी पत्नी के साथ सहमत नहीं था, लेकिन तलाक का कोई सपना नहीं था । आप देखते हैं? न तो उसने सपना देखा, न तो मैंने सपना देखा । यह अज्ञात था । अब वे पेश किए जा रहे हैं । पत्रकार: हाँ । पश्चिमी संस्कृति ।
प्रभुपाद: आह, हाँ ।
पत्रकार: आपको मानने वाले भारत में ज्यादा हैं ?
प्रभुपाद: हाँ । मेरे व्यक्तिगत नहीं, लेकिन मेरे अन्य गुरुभाई, यह पंथ बहुत अच्छा है ।
पत्रकार: कितने, कितने...
प्रभुपाद: ओह, लाखों । हम पास यह वैष्णव तत्वज्ञान है, कृष्ण भावनामृत, लाखों और लाखों । लगभग सभी । ८० प्रतिशत । आप किसी भी भारतीय से पूछना और वह कृष्ण भावनामृत के बारे में इतनी सारी चीजें बताएगा । वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता है, लेकिन मेरे जैसे कई संत व्यक्ति हैं । वे यही काम कर रहे है ।
पत्रकार: क्या... आपको औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त हुअा...
प्रभुपाद: हाँ, मुझे अपने गुरु महाराज द्वारा दीक्षा प्राप्त हुई । वो यहाँ है, मेरे आध्यात्मिक गुरु की तस्वीर ।
पत्रकार: ओह, अच्छा ।
प्रभुपाद: हाँ । तो जब अापका देश एक प्रमाण पत्र चाहता था मुझे स्थायी निवासी बनाने के लिए है, तो मैंने अपने गुरुभाईयों से प्रमाणपत्र लिया कि मैंने दिक्षा प्राप्त की है । बस । लेकिन अन्यथा, हमारे देश में, प्रमाण पत्र की कोई जरूरत नहीं है ।
पत्रकार: दूसरे शब्दों में, भारत में एक मदरसा में जाने की तरह कुछ भी नहीं है जहॉ आप एक मदरसा या एक मठ में जाते हैं और चार साल के लिए एक पाठ्यक्रम लेते हैं...
प्रभुपाद: नहीं, यह मठ है । हाँ, एक मठ भी है । हमारी संस्था है, गौड़ीय मठ संस्था । उनकी सैकड़ों शाखाऍ हैं ।
पत्रकार: आप अध्ययन के एक निर्धारित पाठ्यक्रम के लिए जाते हैं ?
प्रभुपाद: हाँ, अध्ययन के निर्धारित पाठ्यक्रम, ये दो, तीन किताबें, बस । कोई भी पढ़ सकता है । भगवद गीता और श्रीमद-भागवतम या चैतन्य-चरितामृत । आप सब कुछ सीख जाअोगे । आपको इतनी भारी मात्रा में पुस्तकों को जानने की ज़रूरत नहीं है । क्योंकि भगवद गीता, इतनी अच्छी किताब है, अगर आप एक पंक्ति समझ सकते हैं, तो आप सौ साल अग्रिम होते हैं । आप देखते हैं? तो, मेरे कहने का मतलब है, सार्थक और इतनी ठोस । इसलिए हमने इस भगवद गीता यथारूप को प्रकाशित किया है । अापके लोगों को इसे पढ़ने दो, उन्हें सवाल करने दो और यह आंदोलन क्या है उसे समझने की कोशिश करने दो ।
पत्रकार: मैकमिलन यह प्रकाशित कर रहा है ।
प्रभुपाद: हाँ, मैकमिलन प्रकाशित कर रहा है ।