HI/Prabhupada 0591 - मेरा काम इस भौतिक चंगुल से बाहर निकलना है



Lecture on BG 2.20 -- Hyderabad, November 25, 1972

भारतीय: ...ओमकार स्वरूप । लेकिन मैं जानना चाहता हूँ भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा कौन हैं ? क्या ये तीन भगवान हैं ?

प्रभुपाद: हाँ । वे भगवान का विस्तार हैं । जैसे पृथ्वी की तरह । और फिर पृथ्वी से, अाप पेड़, लकड़ी पाते हो । और फिर, पेड़ में, आप आग लगा सकते हो, तो यह धुआं हो जाता है । फिर आग बाहर आता है | जब आप आग पाते हो, अाप आग से अपना काम निकाल सकते हो । तो, सब कुछ एक है, लेकिन... वही उदाहरण, पृथ्वी से, लकड़ी; लकड़ी से, धुअाँ; धुऍ से आग । यदि अगर आपको काम निकालना है तो अाग की आवश्यकता है, हालांकि, वे सभी एक हैं ।

इसी तरह, वे देवता हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर । यदि आपको काम निकालना है, तो अापको अाग के पास जाना होगा, विष्णु, सत्तम, सत्व-गुण । यह प्रक्रिया है । हालांकि वे एक हैं, लेकिन अापका काम पूरा होगा विष्णु के साथ, किसी अन्य के साथ नहीं । मेरा काम क्या है ? मेरा काम इस भौतिक चंगुल से बाहर निकलना है । तो अगर कोई भी इस भौतिक चंगुल से मुक्त होने के लिए उत्सुक है, तो उसे विष्णु की शरण लेनी चाहिए, दूसरों को नहीं ।

भारतीय: कृपया मुझे बताईए कि इच्छा क्या है ? जब तक इच्छा है, हम भगवान का एहसास नहीं कर सकते हैं । और भगवान को साकार करना भी एक इच्छा है ।

प्रभुपाद: इच्छाओं का मतलब है भौतिक इच्छाऍ । अगर आप सोचते हैं कि अाप भारतीय हैं और अापकी इच्छा है कि कैसे अपने देश का सुधार करें... या इतनी सारी इच्छाऍ । या अगर आप एक परिवार के आदमी हैं । तो ये सभी भौतिक इच्छाऍ हैं । तो जब तक आप भौतिक इच्छाओं से घिरे रहते हैं, तो आप भौतिक प्रकृति के अधीन हैं । जैसे ही आप सोचते हैं कि, अाप, आप भारतीय या अमेरिकी नहीं हैं, आप ब्राह्मण या वैष्णव, ब्राह्मण या क्षत्रिय नहीं हैं, आप कृष्ण के शाश्वत दास हैं, उसे शुद्ध इच्छा कहा जाता है । इच्छा तो है, लेकिन आपको इच्छा को शुद्ध करना होगा । मैंने अभी समझा दिया है । सेर्वोपाधि विनिर्मुक्तम (चैतन्य चरितामृत मध्य १९.१७०) । ये उपाधीयॉ हैं ।

मान लीजिए आप एक काले कोट में हैं । तो क्या इसका मतलब है कि आप काले कोट हैं ? यदि आप कहते हैं... अगर मैं आप से पूछता हूँ, "अाप कौन हैं ?" यदि आप कहते हैं, "मैं काला कोट हूँ," तो क्या यह उचित जवाब है ? नहीं । इसी तरह, हम एक वस्त्र मे हैं, अमेरिकी वस्त्र या भारतीय वस्त्र में । तो अगर कोई आपसे पूछता है, "अाप कौन हो ?" "मैं भारतीय हूं |" यह गलत पहचान है । यदि आप कहते हैं, "अहम् ब्रह्मास्मि" यह अापकी असली पहचान है । यह अहसास आवश्यक है ।

भारतीय: मैं कैसे प्राप्त कर सकता हूँ...?

प्रभुपाद: इसके लिए चाहिए, उह, अापको जाना होगा... तपसा ब्रह्मचर्येण (श्रीमद भागवतम ६.१.१३) । आपको इस सिद्धांत का पालन करना होगा । अादौ श्रद्धा तत: साधु संगो अथ भजन-क्रिया | आपको इस प्रक्रिया को स्वीकार करना होगा । तब अाप समझेंगे ।

भारतीय: लेकिन कल वहाँ, (अस्पष्ट) कि एक भक्त था, उसने इस पूरी दुनिया को त्याग दिया, जंगल में चला गया, और वह भगवान कृष्ण का नाम जप रहा था, यह अौर वह । लेकिन वह, एक तरह से, किसी प्रकार का योगी था । इस तरह उसे एक हिरण से प्यार हो गया । तो मृत्यु के समय, उसे हिरण का विचार हुअा, और अगले जन्म में, वह हिरण बन गया । तो कोई इच्छा जानबूझकर नहीं थी, लेकिन किसी तरह से वह उस में आ गया...

प्रभुपाद: नहीं, इच्छा थी । वह एक हिरण का विचार कर रहा था । इच्छा तो थी ।

भारतीय: हम तो कई चीजों के बारे में सोचते हैं...