HI/Prabhupada 0766 - किसी भी स्थिति में, बस श्रीमद भागवत पढ़ कर, आप खुश रहेंगें



Lecture on SB 1.13.12 -- Geneva, June 3, 1974

प्रभुपाद: (पढ़ते हुए) "महाराज युधिष्ठिर के लिए यह उचित था के वे अपने चाचा का भरण-पोषण सम्मान पूर्वक करें, लेकिन धृतराष्ट्र के लिए इस तरह के उदार आतिथ्य की स्वीकृति बिल्कुल वांछनीय नहीं था । उन्होंने स्वीकार किया, यह सोचकर की उनके पास और कोई विकल्प नहीं है । विदुर, विशेष रूप से धृतराष्ट्र को समझाने के लिए और आध्यात्मिक अनुभूति के उच्च स्तर पर उन्हें ले जाने के लिए आए । पतित जीवों का उद्धार करना प्रबुद्ध आत्माओं का कर्तव्य है, और इसीलिए विदुर आए थे ।

लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान की बातें इतनी ताजा होती हैं की, धृतराष्ट्र को निर्देशित करते समय, विदुर ने परिवार के सभी सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया, और उन सभी ने धैर्य से उनकी बात सुनने में उत्साह और उल्हास व्यक्त किया । आध्यात्मिक अनुभूति का यही मार्ग है । इस संदेश को ध्यान से सुनना चाहिए, और यदि यह बात कोई भगवत्तत्वदर्शी कह रहा हो, यह भ्रमित जीव के सुषुप्त हृदय पर असर करेगा । और लगातार सुनने से, व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार की उत्तम स्थिति को प्राप्त कर सकता है।"

इसलिए श्रवणम् बहुत जरूरी है । श्रवणम कीर्तनम विष्णो: स्मरणम पाद सेवनम (श्रीमद भागवतम ७.५.२३) । तो हमारे सभी केन्द्रों में, इस प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए । अब हमारे पास बहुत सारी पुस्तके हैं । केवल अगर हम इन पुस्तकों को पढ़े... हमारे योगेश्वर प्रभु किताबें पढ़ने के लिए बहुत उत्साहित हैं । तो सभी को किताबें पढ़नी चाहिए और दूसरों को सुनना चाहिए । यही बहुत जरूरी है, श्रवणम । जितना अधिक आप सुनते हो... हमारे पास कई किताबें हैं । जो भी पहले से ही प्रकाशित किया गया है... अब जैसे हम प्रतिदिन एक श्लोक की चर्चा करते हैं ।

तो कम से कम... पहले से ही इनमें कईं श्लोक हैं, जिनके बारे में आप पचास वर्षों तक चर्चा कर सकते हैं । यह पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं, इन्हें लेकर चलते रह सकते हो । श्लोकों का कोई अभाव नहीं होगा । तो, इस प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए । समय बर्बाद मत करो । जितना हो सके, इस दिव्य विषय, भागवत के बारे में सुनने का प्रयास करें । यद वैष्णवानाम प्रियम (श्रीमद भागवतम १२.१३.१८) । यह कहा गया है की श्रीमद भागवतम वैष्णवों को, भक्तों को, अति प्रिय है ।

वृन्दावन में, आप देख सकते हैं कि वे हमेशा श्रीमद-भागवतम पढ़ते हैं । यह उनके लिए प्राण है । तो अब हमारे पास छ: स्कंध हैं, इसके बाद और... कितने ? आठ स्कन्द आ रहे हैं ? तो आपके पास अध्ययन के लिए पर्याप्त सामग्री होगी । तो आपको पढ़ना चाहिए । श्रवणम कीर्तनम विष्णोः (श्रीमद भागवतम ७.५.२३) । यही प्रमुख कर्तव्य है । वही शुद्ध भक्तिमय सेवा है । क्योंकि हम सुनने और जप में चौबीस घंटे समर्पित नहीं कर सकते; इसलिए हमने हमारी गतिविधिया, कार्यक्रम का विस्तार किया है । वरना, श्रामद भागवतम इतना अच्छा है, अगर आप इसका कहीं भी अभ्यास करें, किसी भी स्थिति में, बस श्रीमद-भागवतम पढ़ कर, आप खुश रहेंगें । तो इस पद्धति को अपनाइए और अपने आध्यात्मिक जीवन में अधिक से अधिक उन्नति कीजिए ।

बहुत बहुत धन्यवाद ।

भक्त: जय श्रील प्रभुपाद ।