HI/Prabhupada 0863 - तुम मांस खा सकते हो, लेकिन तुम अपने पिता और माता की हत्या करके मांस नहीं खा सकते हो



750521 - Conversation - Melbourne

निर्देशक: आपका जवाब क्या है कि अभी भी एक छोटा प्रतिशत जनसंख्या का, जनसंख्या का छोटा प्रतिशत, यह तत्वज्ञान को स्वीकार करते हैं की...

प्रभुपाद: नहीं । छोटा प्रतिशत, जैसे... आकाश में इतने सारे सितारे हैं, और एक चंद्र है । प्रतिशत में चंद्र कुछ भी नहीं है । अगर हम सितारों का प्रतिशत लेते हैं, चंद्र कुछ भी नहीं है । लेकिन सब बकवास सितारों से चंद्र महत्वपूर्ण है । (हंसी) लेकिन अगर प्रतिशत लेते हो तुम, तो उसका कोई प्रतिशत नहीं है । लेकिन क्योंकि वह चाँद है, वह इन सभी बदमाश सितारों से महत्वपूर्ण है । यह उदाहरण है । चंद्र की उपस्थिति में सितारों का प्रतिशत लेने का क्या उपयोग है ? एक चंद्र होना चाहिए, पर्याप्त है । प्रतिशत का कोई सवाल ही नहीं है । एक आदर्श आदमी । जैसे ईसाई दुनिया में एक आदर्श, प्रभु यीशु मसीह ।

निर्देशक: आपा का क्या ख्याल है माओ त्से-तुंग के बारे में ?

प्रभुपाद: हु ? क्या ?

अमोघ: वह पूछ रहे हैं कि माओ त्से तुंग के बारे में अापका क्या ख्याल है ?

निर्देशक: वह आदर्श आदमी है चीन में ।

अमोघ: वह एक साम्यवादी है ।

प्रभुपाद: उनका आदर्श ठीक है ।

निर्देशक: चीन में, वह है...

प्रभुपाद: उनका आदर्श, साम्यवादी विचार, की हर किसी को खुश होना चाहिए, यह अच्छा विचार है । लेकिन वे जानते नहीं है कि कैसे... जैसे वे राज्य में वे इंसान की देखभाल कर रहे हैं, लेकिन वे बिचारे जानवरों को कसाईखाने भेज रहे हैं । क्योंकि वे नास्तिक होते हैं, वे जानते नहीं हैं कि जानवर भी एक जीव है और इंसान भी जीव है । तो मनुष्य की जीभ की संतुष्टि के लिए पशु का गला काटना चाहिए । यही दोष है । पंड़िता: सम दर्शिन: (भ.गी. ५.१८) | जो पंडित है, वह सबके के साथ समान है । यही पंड़ित है । "मैं अपने भाई का ख्याल रखता हूँ और मैं तुम्हें मार दूँगा ।" यह सही नहीं है । यही चल रहा है, हर जगह ।

राष्ट्रवाद । राष्ट्रीय का मतलब है जिसने उस देश में जन्म लिया है । लेकिन पशु, बेचारा पशु, क्योंकि वे कोई विरोध नहीं कर सकते हैं, उन्हे कसाईखाने भेज दो । अौर अगर वे आदर्श आदमी होते, वे विरोध करते, "ओह, आप यह क्यों कर रहे हैं ? उन्हे भी जीने दो । तुम भी जियो । बस खाद्यान्न का उत्पादन करो । जानवर भी खा सकते हैं, तुम भी खा सकते हो । क्यों तुम जानवर को खाना चाहते हो ?" भगवद गीता में सिफारिश की गई है ।

निर्देशक: लेकिन जहॉ सर्दिया लंबी होती हैं, लोगों को सर्दियों में कुछ खाने के लिए जानवरों को मारना पड़ता है ।

प्रभुपाद: ठीक है, लेकिन तुम्हे... मैं भारत या यूरोप के लिए नहीं बोल रहा हूँ । मैं पूरे मानव समाज को बोल रहा हूँ । समझने का प्रयास करें ।

निर्देशक: लोगों नें मांस खाना शुरू किया क्योंकि सर्दियों में खाने के लिए कुछ नहीं था ।

प्रभुपाद: नहीं, तुम मांस खा सकते हो, लेकिन तुम अपने पिता और मां की हत्या करके मांस नहीं खा सकते । यह मानव भावना है । तुम गाय से दूध ले रहे हो यह तुम्हारी माँ है । तुम दूध लेते हो, ऑस्ट्रेलिया में वे इतना दूध, मक्खन और सब कुछ का उत्पादन करते हैं । अौर यह समाप्त होने पर, गला काट कर और व्यपाार करो, अन्य देशों में भेजो । यह क्या बकवास है ? क्या यह मानवता है ? आपको क्या लगता है ?

निर्देशक: ठीक है, दो सौ साल पहले लोगों को सर्दियों में जीवित रहने के लिए, मारना पड़ता था...

प्रभुपाद: नहीं, नहीं । तुम अपनी माँ का दूध लेते हो । तुम अपनी माँ का दूध लेते हो, और जब मां दूध की आपूर्ति नहीं कर सकती है, तो तुम उसे मार डालते हो । यह क्या है ? क्या यह मानवता है ? और प्रकृति बहुत बलवान है, इस अन्याय के लिए, पाप के लिए, तुम्हे भुगतना होगा । तुम्हे भुगतने के लिए तैयार रहना ही होगा । तो युद्ध होगा, और थोक में मारें जाऍगे । प्रकृति यह बर्दाश्त नहीं करेगी । वे यह सब नहीं जानते हैं, प्रकृति कैसे काम कर रही है, कैसे भगवान प्रबंध कर रहे हैं । वे भगवान को नहीं जानते हैं ।

समाज का यह दोष है । वे भगवान क्या हैं इसकी परवाह नहीं करते हैं । "हम वैज्ञानिक हैं । हम सब कुछ कर सकते हैं ।" तुम क्या कर सकते हो ? क्या तुम मौत को रोक सकते हो ? प्रकृति कहती है "तुम्हे मरना होगा । तुम प्रोफेसर आइंस्टीन हो, ठीक है । तुम्हे मरना होगा ।" क्यों आइंस्टीन और अन्य वैज्ञानिक, वे एक दवा या प्रक्रिया की खोज नहीं करते हैं, "नहीं, नहीं, हम नहीं मरेंगे ?" तो यह समाज का दोष है । वे पूरी तरह से प्रकृति के नियंत्रण में हैं, और वे स्वतंत्रता की घोषणा कर रहे हैं । अज्ञान । अज्ञान । तो हम इसे सुधारना चाहते हैं ।

निर्देशक: ठीक है, मैं निश्चित रूप से आपको शुभकामनाएँ देता हूँ ।

प्रभुपाद: हम्म?

निर्देशक: मैं अापको शुभकामनाएँ देता हूँ ।

प्रभुपाद: हम्म, धन्यवाद ।

निर्देशक: समाज के सेवक होने के नाते अाप समाज को सुधारें ।

प्रभुपाद: तो कृपया हमारे साथ सहयोग करें । यही है... तत्वज्ञान जानने का प्रयास करें, और तुम्हे अाश्चर्य होगा कि कितना अच्छा है ये तत्वज्ञान ।

निर्देशक: मुझे काफी यकीन है ।

प्रभुपाद: हाँ । इसलिए हम प्रतिशत को नहीं देखते हैं । व्यक्तिगत रूप से आदर्श आदमी बनो । वही उदाहरण: सितारे और एक चंद्र की तुलना में कोई प्रतिशत नहीं है । प्रतिशत क्या है ? लाखों सितारे हैं । यह प्रतिशत क्या है, लाखों में एक ? यह व्यावहारिक रूप से शून्य प्रतिशत है । लेकिन फिर भी, क्योंकि यह चंद्र है, यह पर्याप्त है इन छोटे सितारों की तुलना में । तो चंद्र का उत्पादन करो ।

निर्देशक: हाँ, लेकिन यह चंद्र बड़ा है, और आप इसे पहचान सकते हैं, लेकिन एक और आदमी, केवल एक और सितारा...

प्रभुपाद: नहीं, ठीक है । अगर तुम चंद्र की तरह अच्छे नहीं बन सकते...

निर्देशक: माफ कीजिए ?

प्रभुपाद: तुम नहीं बना सेकते, लेकिन यह संभव है अगरे वे आदर्श पुरुष हैं ।

निर्देशक: सादृश्य दिलचस्प है, लेकिन एक व्यक्ति आपसे पूछ सकता है, अाप मेरे जैसे एक आदमी हो, कैसे, अाप जानते हैं... यह केवल एक तारा नहीं है, की आपकी राय, जैसे मैं...

प्रभुपाद: नहीं । यदि तुम इस विधि को मंजूरी देते हो तो तुम कई मायनों में सहयोग कर सकते हो । सब से पहले तुम्हें देखना होगा कि यह विधि क्या है, कृष्ण भावनामृत आंदोलन । हम सेवा करने के लिए तैयार हैं, तुम्हे मनाने के लिए, इस आंदोलन का प्रथम श्रेणी का स्वभाव । अब अगर तुम आश्वस्त हो, सहयोग करने का प्रयास करो । और अन्य नेताओं को प्रेरित करो । तुम भी नेताओं में से एक हो । यद यद अाचरति श्रेष्ठस तत तद एवतरो जना: (भ.गी. ३.२१) | अगर समाज के नेता इस आंदोलन के साथ दयालुता दिखायऍ, दूसरे स्वचालित रूप से करेंगे, "ओह, हमारे नेता, हमारा मंत्री इसका समर्थन कर रहा है ।"