HI/Prabhupada 0865 - तुम देश को ले रहे हो, लेकिन शास्त्र ग्रहों को लेता है, देश को नहीं



750520 - Morning Walk - Melbourne

परमहंस: फूलों की ज्यादा किस्में नहीं है ।

प्रभुपाद: नहीं, फूल की बात नहीं है । मेरे कहने का मतलब है किस्में, पौधे और लताऍ, बीस लाख । लक्ष विंशति । दस लाख मतलब एक मिलियन, और विंशति, बीस लाख ।

हरि-सौरि: मैं पढ़ रहा था अखबार में एक खबर । वे मनुष्य के विकास के बारे में एक नई किताब का विज्ञापन कर रहे थे । और वे कह रहे थे कि इस ग्रह पर जीवन की लगभग बीस लाख किस्में थीं । यह वैज्ञानिकों की गणना थी ।

प्रभुपाद: बीस लाख ? नहीं चौरासी लाख |

श्रुतकीर्ति: आप उस दिन कह रहे थे कि जीवन की सभी प्रजातियो का पद्म-पुराण में उल्लेख हैं ।

प्रभुपाद: हाँ ।

श्रुतकीर्ति: उन सब का उल्लेख दिया गया है ।

प्रभुपाद: उन्होंने अलग अलग उल्लेख दिया है या केवल कुल मिलाकर ?

हरि-शौरि: केवल अनुमान ।

श्रुतकीर्ति: एक अनुमान ।

हरि-शौरि: (तोड़)... चित्र उस तथाकथित कड़ी का बंदर से अादमी के विकास तक । उन्होंने एक चित्र दिया है एक प्रजाति का जो आदमी की तरह लगता है लेकिन एक बंदर की तरह कूबड़ है । और वे दावा कर रहे हैं...

प्रभुपाद: उनको वो कहाँ मिला है ?

हरि शौरि:... इस प्रकार का व्यक्तित्व लाखों साल पहले मौजूद था ।

अमोघ: चार लाख मानव प्रजाति में से, क्या है विशिष्ठ विशेषता जो उसे दूसरे प्रजातियों से अलग बनाती है ? हम उन्हें कैसे पहचान सकते हैं ? या क्या हम कर सकते हैं ?

प्रभुपाद: तुमने पुरुषों की किस्मों को नहीं देखा है ?

अमोघ : हाँ ।

प्रभुपाद: फिर, क्या है...

अमोघ: यह देश द्वारा विभाजित है, या एक देश के भीतर कई प्रजातियां हैं ?

प्रभुपाद: तुम देश को ले रहे हो, लेकिन शास्त्र ग्रहों की लेता है, देश को नहीं । तुम्हारा विचार बहुत सिमित है: "देश", "राष्ट्रीय"। लेकिन शस्त्र नहीं है... राष्ट्रीय जैसी कोई चीज नहीं है । वे पूरे ब्रह्मांड को लेते हैं । वे उस दृष्टि कोण से विचार करते हैं । ये सीमित विचार, "राज्य," "राष्ट्रीय," बाद में आया है । ऐसी कोई बात नहीं थी पहले । एक ग्रह या ब्रह्मांड, एसे । जैसे कल रात वह लड़की चकित थी "कैसे यह ग्रह एक राजा द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है ?" यह वास्तव में किया जा रहा था । और पूरा ब्रह्मांड ब्रह्मा, एक व्यक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है । तो व्यक्ति को पता होना चाहिए कि नियंत्रिण कैसे करना है ।

भक्त (१): हम देख सकते हैं, श्रील प्रभुपाद, प्रत्येक लोक में धन और खनिजों के वितरण से, प्रत्येक ग्रह में, मतलब यह है की यह एक शासक द्वारा शासित किया जाना चाहिए । एक जगह सोना है, एक जगह अनाज उगाने के लिए । क्या यह सच है ?

प्रभुपाद: नहीं । हर जगह सब कुछ है, शायद अनुपात में अलग अलग मात्रा में ।

हरि-शौरि: क्या यह वह नियंत्रण है जो ब्रह्मा ब्रह्मांड में करते हैं, वे अन्य सभी देवताअों के साथ यह करते हैं, जैसे वे विभागीय प्रमुख हैं ? तो वे व्यक्तिगत रूप से हर एक बात का निर्देशन नहीं कर रहे हैं ।

प्रभुपाद: हाँ, उन्हे ज़िम्मा दिया गया है । जैसे हमारे यहॉ अलग अलग जी बी सी हैं विभिन्न कार्यों के लिए । इसी तरह, वे अच्छी तरह से अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं । यह सभी ग्रहों अलग अलग देवताअों के विभिन्न आवासीय घर हैं । वे पूरे ब्रह्माण्ड के कार्यों को नियंत्रित कर रहे हैं । उनकी तुलना में, यह इंसान कुछ भी नहीं है । हम नियंत्रित हैं; हम नियंत्रक नहीं हैं । यह उन्हें पता नहीं है । आधुनिक सभ्यता, उन्हें पता नहीं है । हालांकि वे नियंत्रित किए जा रहे हैं वे नहीं जानते हैं । यही दोष है ।