HI/Prabhupada 1003 - व्यक्ति भगवान के पास गया है, भगवान आध्यात्मिक है, लेकिन वो भौतिक लाभ मांग रहा है



750713 - Conversation B - Philadelphia

सैंडी निक्सन: क्या भगवान से प्रेम करना सीखने के लिए अलग रास्ते हैं ?

प्रभुपाद: नहीं । कोई अलग नहीं है ।

सैंडी निक्सन: मेरा मतलब है कि,... क्या अन्य आध्यात्मिक पथ हैं... क्या सभी आध्यात्मिक पथ का अंत एक है?

प्रभुपाद: आध्यात्मिक पथ चार में विभाजित हैं। आध्यात्मिक नहीं । असली आध्यात्मिक, मिश्रित आध्यात्मिक। जैसे इस तरह, "भगवान, हमें हमारी दैनिक रोटी दो ।" यह मिश्रित आध्यात्मिक है । व्यक्ति भगवान के पास गया है, भगवान आध्यात्मिक है, लेकिन वो भौतिक लाभ मांग रहा है | तो यह मिश्रण है, पदार्थ और आत्मा का । तो चार वर्ग हैं । आम तौर पर कर्मी के रूप में जाने जाते हैं, वे कुछ भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए काम करते हैं । उन्हें कर्मी कहा जाता है। जैसे सभी लोग, आप देखेगें कि, वे इतनी मेहनत से दिन और रात काम कर रहे हैं, अपनी गाड़ी को चलातें हैं, (गाड़ियों का शोर करते है) इस तरफ और उस तरफ । उद्देश्य कुछ पैसे पाना है । इसे कर्मी कहा जाता है । और फिर ज्ञानी ।

ज्ञानी मतलब वह जानता है कि "मैं इतनी मेहनत से काम कर रहा हूँ । क्यों? पक्षी, जानवर, हाथी, बड़े, बड़े - अस्सी लाख विभिन्न प्रकार - वे नहीं करते । वे कोई व्यापार नहीं करते । उनका कोई व्यवसाय नहीं है । वे कैसे खा रहे हैं? तो क्यों अनावश्यक रूप से मैं इतना काम करता हूँ ? मुझे जीवन की समस्या क्या है इसका पता करना है ।" तो वे समझ जातें हैं कि जीवन की समस्या जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और बीमारी है । और वे इसे हल करना चाहते हैं, कैसे अमर हो जाएँ । तो वे इस निष्कर्ष पर आतें हैं कि "अगर मैं भगवान के अस्तित्व में विलीन हो जाऊँ, तब मैं जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और बीमारी से अमर हो जाऊँगा ।"

इसे ज्ञानी कहा जाता है । और उनमें से कुछ योगी हैं । वे कुछ आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं आश्चर्यजनक खेल दिखाने के लिए । एक योगी बहुत छोटा सा बन सकता है । अगर तुम उसको एक कमरे में बंद कर दोगे, वह बाहर आ जाएगा । आप इसे बंद कर लो । वह बाहर आ जाएगा । छोटी सी जगह है, वह बाहर आ जाएगा । इसे अनिमा कहा जाता है । वह आकाश में उड़ सकता है, आकाश में तैर सकता है । इसे लघीमा कहा जाता है । इस तरह से, अगर कोई इस तरह का जादू दिखा सकता है, फिर तुरंत वह बहुत अद्भुत व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है । तो योगी, वे... आधुनिक योगी, वे बस कुछ व्यायाम दिखाते हैं, लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं होती । तो मैं इन तृतीय श्रेणी के योगीओ की बात नहीं कर रहा हूँ।

असली योगी का मतलब है कि उसके पास कुछ शक्ति हैं । वो भौतिक शक्ति हैं। तो योगी भी इस शक्ति को चाहते हैं। और ज्ञानी भी गधे की तरह, कर्मी की तरह, अनावश्यक काम करने से मुक्ति चाहते हैं । और कर्मी भौतिक लाभ चाहते हैं । तो, वे सब कुछ न कुछ चाहते हैं । लेकिन भक्त, वे कुछ भी नहीं चाहते । वे प्रेम से भगवान की सेवा करना चाहते हैं । जिस तरह से एक माँ अपने बच्चे को प्यार करती है । लाभ का कोई सवाल ही नहीं है । स्नेह के कारण, वह प्यार करती है । तो जब आप उस स्थिति पर आते हैं, भगवान से प्रेम करने के लिए, वह सर्वोत्तम है ।

तो यह विभिन्न प्रक्रार, कर्मी, ज्ञानी, योगी और भक्त, इन चारों प्रक्रारों में से, अगर आप भगवान को जानना चाहते हैं, तो आपको भक्ति को स्वीकारना होगा । यह भगवद गीता में कहा गया है, भक्त्या माम अभिजानाति (भ.गी. १८.५५)। "केवल भक्ति की प्रक्रिया के माध्यम से ही व्यक्ति भगवान को समझ सकता है ।" वे कभी नहीं कहते कि, अन्य प्रक्रियाओं से, नहीं । केवल भक्ति के माध्यम से । तो अगर आप रुचि रखते हो, भगवान को जानने के लिए और उनसे प्रेम करने के लिए, तो आपको इस भक्ति की प्रक्रिया को स्वीकार करना होगा । कोई अन्य प्रक्रिया आपकी मदद नहीं करेंगी ।