HI/Prabhupada 1045 - मैं क्या कहूं ? हर बकवास व्यक्ति कुछ बकवास बात करेगा । मैं इसे कैसे रोक सकता हूं ?



751002 - Interview - Mauritius

प्रश्नकर्ता (४): भारतीय तत्वज्ञान नें हमेशा यह सिखाया है कि प्रकाश कई ज्योतियों से आता है । लेकिन आप प्रचार कर रहे हैं कि...

प्रभुपाद: क्या ?

ब्रह्मानंद: वे कहते हैं कि भारतीय संस्कृति नें हमेशा यह सिखाया है कि प्रकाश कई ज्योतियों से अाता है ।

प्रश्नकर्ता (४): अापका प्रचार केवल गीता से होता है ।

प्रभुपाद: हाँ । वही परम प्रकाश है । प्रकाश की श्रेणिया होती है । सूर्य की रोशनी है, और यह रोशनी है । आप सूर्य के साथ इस रोशनी की तुलना नहीं कर सकते हैं । (हंसी) प्रकाश हर जगह से आता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सूर्य की रोशनी और यह रोशनी समान हैं ।

प्रश्नकर्ता (४): नहीं, मैं जो...

प्रभुपाद: सबसे पहले आप यह समझें । आपने प्रकाश के बारे में सवाल उठाया है । सबसे पहले यह समझो कि प्रकाश के कई स्तर हैं । अाप यह नहीं कह सकते हैं कि यह प्रकाश अौर सूर्य का प्रकाश एक हैं ।

प्रश्नकर्ता (४): इससे, आपका मतलब यह है कि जो प्रकाश को अपनाते हैं कुरान से या बाइबिल से आ रही शिक्षाओं से, वह कम प्रकाश है...

प्रभुपाद: वह अापका... यह अध्ययन करना अापका काम है । लेकिन हम यह विचार देते हैं कि प्रकाश हर जगह से आता है । एक जुगनू है । वह प्रकाश भी प्रकाश है और सूर्य की रोशनी भी प्रकाश है । आप यह नहीं सोच सकते कि जुगनू की रोशनी और सूर्य की रोशनी एक समान है । अब यह अापका काम है यह देखना कि जुगनु की रोशनी कौन सी है अौर सूर्य का प्रकाश क्या है । यह आपका काम है ।

प्रश्नकर्ता (६) (भारतीय पुरुष): इसकी पर्याप्त रूप से दलील हो चुकी है, विशेष रूप से कम विकसित देशों में, कि अापका आंदोलन किसी साम्राज्यवादी देशों के अधीन है । क्या अाप...?

ब्रह्मानंद: वे कहते हैं कि हमारा आंदोलन कुछ साम्राज्यवादी देशों के साथ संबंध रखता है ।

प्रभुपाद: उन्हे बकवास करने दो । मैं क्या कहूं ? हर बकवास व्यक्ति कुछ बकवास बात करेगा । मैं इसे कैसे रोकूं ? इतने सारे बकवास हैं; इसलिए हम इन सभी बकवास को मनुष्य में बदलने की कोशिश कर रहे हैं । यही हमारा कार्यक्रम है । जब तक वह एक बकवास है, वह बकवास करता रहेगा । मैं क्या कर सकता हूं ?

प्रश्नकर्ता (४): स्वामीजी, मैं एक बात जानना चाहता हूं । यह श्लोक, अापको कहॉ से मिला, यह श्लोक, लावण्यम केश धारणम ? यह श्लोक, लावण्यम केश धारणम ।

प्रभुपाद: हाँ । यह श्रीमद-भागवतम के बारहवें स्कंध के तीसरे अध्याय में है । (एक तरफ:) आपके पास पूरी भागवत है, बारहवॉ स्कंध ?

पुष्ट कृष्ण: हमारे पास नहीं है ।

प्रभुपाद: तो तुम इसकी नोंध लो ।