HI/Prabhupada 1052 - माया के प्रभाव में अाकर हम सोच रहे हैं कि 'यह मेरी संपत्ति है'



750522 - Conversation B - Melbourne

मधुद्विष:... हमारे बहुत प्रिय मित्रों में से एक, रेमंड लोपेज । वे एक बैरिस्टर हैं और एक मुलाकाती है जिन्होंने हमारी काफी मदद की है, कानूनी कामों में जो हमें मेलबोर्न में हुई है । और यह श्री वैली स्ट्रोब्स हैं, जिन्होंने भी हमारी मदद की है अौर हमें अच्छा मार्गदर्शन दिया है | और यह बॉब बॉर्न है, वे एक फोटोग्राफर हैं... उन्होंने अर्चविग्रह की वह अच्छी तस्वीर ली है जो मैं मायापुर त्योहार में लाया था ।

प्रभुपाद: ओह, हाँ ।

मधुद्विष: बहुत अच्छा है । तो उन्होंने हमारे लिए कई तस्वीरें ली हैं । और हम वैली और रेमंड के विशेष रूप से आभारी हैं पुलिस के साथ हमारे व्यवहार में हमें अच्छा मार्गदर्शन देने के लिए । और एक बार तीन साल पहले एक घटना हुई थी हमारे साथ, जब कुछ लड़के कुछ ज्यादा उत्साहित थे रथयात्रा त्योहार को लेकर, और वे बाहर गए और उन्होंने अवैध रूप से कई फूल तोडे । इसलिए वे पकड़े गए थे ।

प्रभुपाद: अवैध रूप से ? कहाँ ? पार्क में ?

मधूद्विष: एक फूल उगाने वाली नर्सरी से ।

प्रभुपाद: ओह ।

मधुद्विष: तो वे पकड़े गए । लेकिन कृष्ण की कृपा से रेमंड उन्हें छुडाने में सफल रहे । लेकिन इस बात नें हमें अच्छी शिक्षा दी है ।

रेमंड लोपेज: असल में, मुझे लगता है उन्होंने गलत लोगों को पकडा ।

प्रभुपाद: दक्षिण भारत में एक महान भक्त था । वह एक खजाने का अधिकारी था । तो उसने खजाने से पैसा लिया और बहुत अच्छे मंदिर का निर्माण किया । (हंसी) हाँ । बाद में, वो पकड़ा गया था, और उसे नवाब द्वारा जेल में डाल दिया गया था । उस समय मुस्लिम राजा, नवाब, उसने दो लड़कों को सपने में देखा, बहुत सुंदर, वे नवाब के पास आए: "श्रीमान, जो पैसे उसने अापसे लिए हैं, अाप हमसे ले लीजिए अौर उसे छोड दी जिए ।" तो नवाब ने कहा "अगर मुझे मेरे पैसे मिलते हैं, मैं उसे छोड़ सकता हूं।" तब, जब उसका सपना टूटा, उसने फर्श पर पैसे को देखा, और कोई नहीं था । तब उसे समझ अाया कि वह कितना महान भक्त है । उसने उसे तुरंत बुलाया कि "तुम अाज़ाद हो अौर तुम यह पैसे भी ले लो । जो तुमने पहले से ही ले लिया है, वह ठीक है। और अब यह पैसे भी ले लो । तुम जैसे चाहो उसे खर्च करो ।" तो भक्त कभी कभी एसा करते हैं । वास्तव में, कुछ भी निजी संपत्ति नहीं है । यह हमारा मानना है । ईशावास्यम इदम सर्वम (ईशोपनिषद १): "सब कुछ भगवान का है ।" यह एक तथ्य है ।

माया के प्रभाव के कारण हम सोच रहे हैं कि "यह मेरी संपत्ति है।" मान लो जैसे यह गद्दी । कहाँ से लकड़ी आई है ? किसी से लकड़ी का उत्पादन किया है ? किसने उत्पादन किया है ? यह भगवान की संपत्ति है । बल्कि, हमने भगवान की संपत्ति को चुराया है और दावा कर रहे हैं "मेरी संपत्ति ।" फिर ऑस्ट्रेलिया । अंग्रेज यहाँ अाए, लेकिन यह अंग्रेजों की संपत्ति है ? यह वहाँ था पहले से ही । अमेरिका, था पहले से ही । अौर जब सब कुछ खत्म हो जाएगा यह रहेगा । हम बीच में आते हैं और दावा करते हैं, "यह मेरी संपत्ति है" और लड़ते हैं । ऐसा है कि नहीं ? आप एक बैरिस्टर हैं, तो आप बेहतर न्याय कर सकते हैं । वैली स्ट्रोब्स: इसी तर्क का इस्तेमाल उन्होंने किया था ।

रेमंड लोपेज: नहीं, यह (अस्पष्ट) । (हंसी)

प्रभुपाद: मूलतः, सब कुछ भगवान का है । हम दावा कर रहे हैं, "यह मेरी संपत्ति है" ? मान लीजिए आप यहाँ आए हैं । आप एक घंटे, दो घंटे के लिए बैठते हैं और आप दावा करते हैं कि, "यह मेरी संपत्ति है" क्या यह बहुत अच्छा निर्णय है ? अाप बाहर से आए हैं, अापको दो घंटे के लिए यहाँ बैठने की अनुमति दी जाती है, अौर अगर आप दावा करते हैं, "यह मेरी संपत्ति है..." इसी तरह, हम यहाँ आते हैं । हम अमेरिका में या ऑस्ट्रेलिया में या भारत में जन्म लेते हैं, और, पचास, साठ या एक सौ साल के लिए रहते हैं, और क्यों मैं दावा करूं "यह मेरी संपत्ति है" ?