HI/661213 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
"अत: श्री कृष्ण अपने स्वयं रूप में सदैव वृन्दावन में एक गोचर किशोर के रूप में रहते हैं। यही उनका वास्तविक रूप हैं। जैसे कि एक न्यायलय के न्यायाधीश के वास्तविक रूप को कहाँ देख सकते हैं? उसके वास्तविक रूप को उसके घर पर ही देखा जा सकता है उसकी कुर्सी पर नहीं। न्यायालय में यदि न्यायाधीश के पिता भी आ जायें तो उन्हें भी न्यायाधीश को संबोधित करते हुए 'माई लार्ड' ही कहना होगा। वह न्यायालय है। एक ही व्यक्ति न्यायालय में और वही व्यक्ति घर में अलग होता है। जबकि वह एक ही व्यक्ति है। उसी प्रकार भगवान् श्री कृष्ण, वास्तविकता में वृन्दावन से बाहर कभी नहीं जाते। बस वे तो सदैव गोचर किशोर ही बन कर रहते हैं। यही सत्य है।"
661213 - Lecture CC Madhya 20.164-173 - New York