HI/661206 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:01, 11 August 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण भावनामृत, जिसका हम प्रचार करने का प्रयास कर रहे हैं, यह इस कलियुग के लिए उत्तम है क्यूँकि यह सीधा व सरल माध्यम है। श्री चैतन्य महाप्रभु ने परिचय दिया की, "कलौ नास्ति एव नास्ति एव नास्ति एव गतिर अन्यथा", कलियुग का यह समय कलह और कपट का समय है इसलिए इसे कलि कहा गया है - इस युग में यह सरल और सीधा मार्ग है। जिस प्रकार मिलिटरी आर्ट में "डायरेक्ट एक्शन (सीधा कार्य )" शब्द का प्रयोग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार अध्यात्मिक्ता में यह सीधा कार्य है, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।"
661206 - प्रवचन भ.गी. ९.२०-२२ - न्यूयार्क