HI/670123 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:06, 3 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भगवद गीता में भगवान कहते हैं, "मेरे अतिरिक्त और कुछ भी श्रेष्ठ नहीं है।" तो भगवद गीता के इस कथन की पुष्टि श्रीमद भागवतम में भी इस श्लोक से हुई है। आनन्दमात्रम। भगवान कृष्ण के दिव्य शरीर में अलौकिक आनंद है। हमें यह ध्यान देना चाहिए कि यह शरीर, हमारा भौतिक शरीर, निरानंदम, आनंदहीन है। हम अपनी इंद्रियो के सीमित संसाधनों द्वारा, आनंद को समायोजित करने प्रयास कर रहे हैं, किन्तु वास्तव में, कोई आनंद नहीं है। वह सब दुख है। इस दुखी शरीर की निंदा व्यावहारिक रूप से, हर अध्याय, और हर श्लोक में की जाती है।"
670123 - प्रवचन चै.च. मध्य २५.३६-४० - सैन फ्रांसिस्को