HI/670310 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:03, 14 April 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अत्रैवा मृगयाह पुरूषो नेति नेति। अब आपको विश्लेषण करना होगा। आपको यह विश्लेषण करना होगा कि आत्मा क्या है और आत्मा क्या नहीं है। इसके लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। बस उस दिन जैसे मैंने आपको समझाया कि, यदि आप स्वयं सोचते हैं, तो अपने आप का ध्यान करें।" कि "क्या मैं यह हाथ हूँ? क्या मैं यह पैर हूँ? क्या मैं ये आँखें हूँ? क्या मैं यह कान हूं? "ओह, आप कहेंगे," नहीं, नहीं, नहीं, मैं यह हाथ नहीं हूं। मैं यह पैर नहीं हूं। "आप समझ जाएँगे । यदि आप ध्यान करते हैं, तो आप समझ जाएँगे। किन्तु जब आप चेतना के बिंदु पर पहुँचते हैं, तो आप कहेंगे," हाँ, यह मैं हूँ। "यह ध्यान है। यह ध्यान, खुद का विश्लेषणात्मक अध्ययन।"
670310 - प्रवचन स.ब . 0७ .0७.२२ -२६ - सैन फ्रांसिस्को