HI/731031b बातचीत - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 06:36, 21 January 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृष्ण कहते हैं भूमिरआपो'नलो वायुः ख़म मनो, भिन्ना मे प्रकृतिर अष्टधा (भगवद्गीता ७.४)। तो यह कृष्ण से प्रकट हुआ है। यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते (तैत्तिरीय उपनिषद् ३.१) यह वेदों का वाक्य है...तो तुम कैसे समझाओगे की एक शख्सियत इतनी विशाल मात्रा में भौतिक पदार्थ बना सकता है, कम से कम उनको समझाएं कैसे उस शख्स से यह उत्पन्न होते हैं? यह सब वैज्ञानिक रीति से समझाने होंगे, कहाँ से इतना विशाल मात्रा में जल आया। वह तुम्हें वैज्ञानिक तरीके से समझाना है। वरना वे कैसे स्वीकार करेंगे? केवल यह कहने से:"यह कृष्ण से आया है", वे नहीं मानेंगे।" |
731031 - बातचीत - वृंदावन |