HI/680820 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680820SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|"यह सभी प्रार्थनाओं का सारांश है। यदि आप प्रभु को प्रस्तुत करते हैं कि "मेरे पास आपके के अलावा कोई अन्य आश्रय नहीं है, "तो वह आपका तुरंत प्रभार ले लेते है। लेकिन अगर आपको लगता है कि "मेरे प्यारे भगवान," या "मेरे प्यारे भगवान, मैं अपनी रोजी रोटी के लिए आपके पास आता हूं, और जैसे ही आप मुझे रोजी रोटी देते हैं, मेरा कारोबार आपके साथ खत्म हो जाता है..." यह भी बहुत अच्छा है, लेकिन यह प्यार नहीं है। यह व्यापार है। कृष्ण किसी भी व्यवसाय के लिए प्रेमी नहीं चाहते है।"|Vanisource:680820 - Lecture SB 07.09.12-13 - Montreal|680820 - प्रवचन SB 07.09.12-13 - मॉन्ट्रियल}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680819 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680819|HI/680821 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680821}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680820SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|यह सभी प्रार्थनाओं का सारांश है । यदि आप भगवान् के सामने कहते हैं कि "मेरे पास आपके के अलावा कोई अन्य आश्रय नहीं है," तो वे आपका तुरंत प्रभार ले लेते है । लेकिन अगर आप सोचते है कि "मेरे प्रिय प्रभु, मैं अपनी रोजी रोटी के लिए आपके पास आता हूं, और जैसे ही आप मुझे रोजी रोटी देते हैं, मेरा कारोबार आपके साथ खत्म हो जाता है..." नहीं । यह भी अच्छा है, लेकिन यह प्रेम नहीं है । यह व्यापार है । कृष्ण को प्रेमी चाहिए न की कोई व्यवसाय के लिए |Vanisource:680820 - Lecture SB 07.09.12-13 - Montreal|680820 - प्रवचन श्री.भा. ७..१२-१३ - मॉन्ट्रियल}}

Revision as of 16:37, 9 June 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
यह सभी प्रार्थनाओं का सारांश है । यदि आप भगवान् के सामने कहते हैं कि "मेरे पास आपके के अलावा कोई अन्य आश्रय नहीं है," तो वे आपका तुरंत प्रभार ले लेते है । लेकिन अगर आप सोचते है कि "मेरे प्रिय प्रभु, मैं अपनी रोजी रोटी के लिए आपके पास आता हूं, और जैसे ही आप मुझे रोजी रोटी देते हैं, मेरा कारोबार आपके साथ खत्म हो जाता है..." नहीं । यह भी अच्छा है, लेकिन यह प्रेम नहीं है । यह व्यापार है । कृष्ण को प्रेमी चाहिए न की कोई व्यवसाय के लिए ।
680820 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.१२-१३ - मॉन्ट्रियल