HI/681223b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 02:02, 29 March 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण अर्जुन के लिए युद्ध कर सकते थे। वे सर्वशक्तिमान थे। बिना युद्ध करे, वे उसको सभी कुछ दे सकते थे। किन्तु फिर भी, वे उसे नियुक्त करना चाहते थे। कि व्यक्ति को कृष्ण भावना मैं रत रहना चाहिए उसके नियत कर्त्तव्य के साथ में, यह आवश्यक है। हाँ। "अपने नियत कर्त्तव्य का पालन करो, जो कर्म नहीं करने से बेहतर है।" यदि तुम कृष्ण भावना मैं रहकर कर्म नहीं कर सकते, तब अच्छा है कि तुम वर्णाश्रम के अनुसार अपने नियत कर्त्तव्य का पालन करो। जैसे यदि तुम ब्राह्मण हो, तब तुम्हें ऐसे व्यव्हार करना है। यदि तुम क्षत्रिय हो, तुम्हें वैसे कार्य करना है। पर काम करना मत रोको। कृष्ण कहते हैं कि "मनुष्य बिना कर्म करे अपने शरीर का निर्वाह भी नहीं कर सकता।""
681223 - प्रवचन BG 03.06-10 - लॉस एंजेलेस