HI/690712b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690712SB-LOS_ANGELES_ND_02.mp3</mp3player>|"सरल भाव से कृष्ण को समझने का प्रयत्न करो, वे कैसे प्रकट होते हैं, वे कैसे अंतर्धान होते हैं, उनकी वैधानिक पदवी क्या है, मेरा वैधानिक स्तर क्या है, कृष्ण के साथ (हमारा) सम्बन्ध क्या है, कैसे जीना है। सभी कुछ। केवल यदि तुम ये बातें समझ जाओ, कृष्ण कहते हैं, जन्म कर्म च मे दिव्यम यो जानाति तत्त्वतः... तत्वतः मायने यथार्थता, वैज्ञानिक दृष्टि से; मनमानेपन या भावुकता या कट्टरपन से नहीं। नहीं।  सब कुछ, कृष्ण भावना (में) सब कुछ वैज्ञानिक,पक्का वैज्ञानिक (है)। यह कृत्रिम नहीं है। यह कल्पित नहीं है। " |Vanisource:690712 - Lecture SB - Los Angeles|690712 - प्रवचन SB - लॉस एंजेलेस}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690712 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690712|HI/690716 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690716}}
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Latest revision as of 04:16, 24 October 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सरल भाव से कृष्ण को समझने का प्रयत्न करें, वे किस प्रकार प्रकट होते हैं, किस प्रकार अंतर्धान होते हैं, उनकी वैधानिक पदवी क्या है, हमारा वैधानिक स्थान क्या है, कृष्ण के साथ हमारा क्या सम्बन्ध है, किस प्रकार हमें जीवन व्यतीत करना है। सभी कुछ। यदि आप केवल वैज्ञानिक रूप से यह बातें समझते हैं, कृष्ण कहते हैं, जन्म कर्म च मे दिव्यम यो जानाति तत्त्वतः... तत्वतः मायने यथार्थता। मनमानेपन , भावुकता या कट्टरपन द्वारा नहीं। वैज्ञानिक रूप से। कृष्ण भावनामृत में सब कुछ वैज्ञानिक है, पूर्ण रूप से वैज्ञानिक। यह कृत्रिम नहीं है। यह कल्पित नहीं है।"
690712 - प्रवचन SB - लॉस एंजेलेस