HI/731028 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:19, 22 December 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हर व्यक्ति भगवत भावना, या कृष्ण भावना के आभाव में कष्ट भोग रहा है। इसलिए सबसे महान लोकोपकारी कार्य, कल्याणकारी गतिविधि है कृष्ण भावनामृत का वितरण करना। तो भारतीयों का यह कर्तव्य हुआ करता था। भारत- भुमिते मनुष्य- जन्म हइला यार। जिस किसी ने भी भारत में जन्म लिया है, उसका यह कर्तव्य है कि कृष्ण भावना भावित होकर अपने जीवन को सार्थक करें और उसे सारे जगत में वितरित करें। यह हमारा कर्तव्य है। किन्तु हम ऐसा नहीं करे रहे हैं। येन केन प्रकारेण, मैंने इन कुछ युवा युरोपियन और अमेरिकनों को एकत्र किया है। वे इस आंदोलन में सहायता कर रहे हैं।" |
731028 - प्रवचन BG 15.01 - वृंदावन |