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  1. HI/Prabhupada 0920 - क्योंकि जीवन शक्ति, आत्मा है, पूरा शरीर काम कर रहा है‏‎ (2 revisions)
  2. HI/Prabhupada 0921 - क्या तुम श्रीमान निक्सन का संग करने पर बहुत गर्व महसूस नहीं करोगे ?‏‎ (2 revisions)
  3. HI/Prabhupada 0922 - हम हर किसी से अनुरोध कर रहे हैं : कृपया मंत्र जपो, जपो, जपो‏‎ (2 revisions)
  4. HI/Prabhupada 0923 - इन चार स्तम्भों को तोड़ो । तो पापी जीवन की छत गिर जाएगी‏‎ (2 revisions)
  5. HI/Prabhupada 0924 - केवल नकारात्मक्ता का कोई अर्थ नहीं है। कुछ सकारात्मक होना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  6. HI/Prabhupada 0925 - कामदेव हर किसी को मोहित करते है । और कृष्ण कामदेव को मोहित करते हैं‏‎ (2 revisions)
  7. HI/Prabhupada 0926 - ऐसी कोई कारोबार नहीं । यह जऱूरी है । कृष्ण उस तरह का प्रेम चाहते हैं‏‎ (2 revisions)
  8. HI/Prabhupada 0927 - कैसे तुम कृष्ण का विश्लेषण करोगे ? वे असीमित हैं । यह असंभव है‏‎ (2 revisions)
  9. HI/Prabhupada 0928 - केवल कृष्ण के लिए अपने विशुद्ध प्रेम को बढ़ाअो । यही जीवन की पूर्णता है‏‎ (2 revisions)
  10. HI/Prabhupada 0929 - स्नान करना, यह भी अादत नहीं है । शायद एक हफ्ते में एक बार‏‎ (2 revisions)
  11. HI/Prabhupada 0930 - तुम इस भौतिक स्थिति से बाहर निकलो । तब वास्तविक जीवन है, अनन्त जीवन‏‎ (2 revisions)
  12. HI/Prabhupada 0931 - अगर कोई अजन्मा है तो वह कैसे मर सकता है ? मृत्यु का कोई सवाल ही नहीं है‏‎ (2 revisions)
  13. HI/Prabhupada 0932 - कृष्ण जन्म नहीं लेते हैं, लेकिन कुछ मूर्खों को एेसा दिखाई देता है‏‎ (2 revisions)
  14. HI/Prabhupada 0933 - कृष्ण भावनामृत आंदोलन लोगों को पशु जीवन में पतन होने से बचाने की कोशिश करता है‏‎ (2 revisions)
  15. HI/Prabhupada 0934 - आत्मा की आवश्यकता की परवाह न करना, यह मूर्ख सभ्यता है‏‎ (2 revisions)
  16. HI/Prabhupada 0935 - जीवन की वास्तविक आवश्यकता आत्मा के आराम की आपूर्ति है‏‎ (2 revisions)
  17. HI/Prabhupada 0936 - केवल वादा; 'भविष्य में ।' 'लेकिन अभी अाप क्या दे रहे हैं, श्रीमान ?'‏‎ (2 revisions)
  18. HI/Prabhupada 0937 - कौआ हंस के पास नहीं जाएगा । हंस कौए के पास नहीं जाएगा‏‎ (2 revisions)
  19. HI/Prabhupada 0938 - यीशु मसीह, कोई गलती नहीं है । केवल एक मात्र गलती थी वह भगवान के बारे मे प्रचार कर रहे थे‏‎ (2 revisions)
  20. HI/Prabhupada 0939 - कोई भी उस पति से शादी नहीं करेगा जिसने चौंसठ बार शादी की हो‏‎ (2 revisions)
  21. HI/Prabhupada 0940 - आध्यात्मिक दुनिया मतलब कोई काम नहीं । बस आनंद, हर्ष‏‎ (2 revisions)
  22. HI/Prabhupada 0941 - हमारे छात्रों में से कुछ, वे सोचते हैं कि 'क्यों मैं इस मिशन के लिए काम करूँ?‏‎ (2 revisions)
  23. HI/Prabhupada 0942 - हमने कृष्ण को भूलकर अनावश्यक समस्याओं को पैदा किया है‏‎ (2 revisions)
  24. HI/Prabhupada 0943 - कुछ भी मेरा नहीं है । इशावास्यम इदम सर्वम, सब कुछ कृष्ण का है‏‎ (2 revisions)
  25. HI/Prabhupada 0944 - केवल आवश्यकता यह है कि हम कृष्ण की व्यवस्था का लाभ लें‏‎ (2 revisions)
  26. HI/Prabhupada 0945 - भागवत-धर्म का मतलब है भक्त और भगवान के बीच का संबंध‏‎ (2 revisions)
  27. HI/Prabhupada 0946 - हम इस तथाकथित भ्रामक सुख के लिए एक शरीर से दूसरे में प्रवेश करते हैं‏‎ (2 revisions)
  28. HI/Prabhupada 0947 - हमें बहुत स्वतंत्रता मिली है, लेकिन अभी हम इस शरीर से बद्ध हैं‏‎ (2 revisions)
  29. HI/Prabhupada 0948 - यह युग कलि कहलता है, यह बहुत अच्छा समय नहीं है । केवल असहमति और लड़ाई‏‎ (2 revisions)
  30. HI/Prabhupada 0949 - हम शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हम हमारे दांतों का अध्ययन नहीं करते हैं‏‎ (2 revisions)
  31. HI/Prabhupada 0950 - हमारा पड़ोसी भूखा मर सकता है, लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है‏‎ (2 revisions)
  32. HI/Prabhupada 0951 - आम के पेड़ के शीर्ष पर एक बहुत परिपक्व फल है‏‎ (2 revisions)
  33. HI/Prabhupada 0952 - भगवद भावनामृत का लक्षण है कि वह सभी भौतिक क्रियाओ के विरुद्ध है‏‎ (2 revisions)
  34. HI/Prabhupada 0953 - जब आत्मा स्वतंत्रता का दुरुपयोग करता है, तो वह नीचे गिर जाता है । यही भौतिक जीवन है‏‎ (2 revisions)
  35. HI/Prabhupada 0954 - जब हम इन नीच गुणों पर विजय पाते हैं, तब हम सुखी होते हैं‏‎ (2 revisions)
  36. HI/Prabhupada 0955 - ज्य़ादातर जीव, वे आध्यात्मिक दुनिया में हैं । केवल कुछ ही नीचे गिरते हैं‏‎ (2 revisions)
  37. HI/Prabhupada 0956 - कुत्ते का पिता अपने बेटे को कभी नहीं कहेगा : ' स्कूल जाअो ' नहीं । वे कुत्ते हैं‏‎ (2 revisions)
  38. HI/Prabhupada 0957 - मुहम्मद कहते हैं कि वे भगवान के दास हैं । मसीह कहते हैं कि वे भगवान के पुत्र हैं‏‎ (2 revisions)
  39. HI/Prabhupada 0958 - अाप गायों को प्यार नहीं करते; आप उन्हें कसाईखाने भेज देते हो‏‎ (2 revisions)
  40. HI/Prabhupada 0959 - भगवान को भी विवेक है । बुरा तत्व हैं‏‎ (2 revisions)
  41. HI/Prabhupada 0960 - जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करता हैं, वो पागल हैं‏‎ (2 revisions)
  42. HI/Prabhupada 0961 - हमारी स्थिति है अाधीन रहना और भगवान शासक हैं‏‎ (2 revisions)
  43. HI/Prabhupada 0962 - हम ठोस तथ्य के रूप में भगवान को मानते हैं‏‎ (2 revisions)
  44. HI/Prabhupada 0963 - केवल कृष्ण का एक भक्त जो उनसे घनिष्टता के संबंध रखता है भगवद गीता को समझ सकता है‏‎ (2 revisions)
  45. HI/Prabhupada 0964 - जब कृष्ण इस ग्रह पर विद्यमान थे, वे गोलोक वृन्दावन में अनुपस्थित थे । नहीं‏‎ (2 revisions)
  46. HI/Prabhupada 0965 - हमें उस व्यक्ति की शरण लेना है जिसका जीवन कृष्ण को समर्पित है‏‎ (2 revisions)
  47. HI/Prabhupada 0966 - हम भगवान के दर्शन कर सकते हैं जब आंखें रंगीं हो भक्ति के काजल से‏‎ (2 revisions)
  48. HI/Prabhupada 0967 - कृष्ण को, भगवान को, समझने के लिए हमें अपनी इन्द्रियों को शुद्ध करना होगा‏‎ (2 revisions)
  49. HI/Prabhupada 0968 - पश्चिमी तत्वज्ञान सुखवाद का है, खाअो, पियो, ऐश करो‏‎ (2 revisions)
  50. HI/Prabhupada 0969 - अगर तुम अपनी जीभ को भगवान की सेवा में लगाते हो, वे खुद को तुम्हे प्रकट करेंगे‏‎ (2 revisions)

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