MRD/Prabhupada 1062 - कानको कठा भौतिक प्रकृतिके शासन जाट्के प्रवृति निहित लेध्याङ: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Magar Pages with Videos Category:Prabhupada 1062 - in all Languages Category:MRD-Quotes - 1966 Category:MRD-Quotes - L...")
 
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revised links and redirected them to the de facto address when redirect exists)
 
Line 10: Line 10:
[[Category:Magar Language]]
[[Category:Magar Language]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Magar|MRD/Prabhupada 1061 - ईस भगवद्गीतौ विषयवस्तु पाँच मौलिक सत्य याङ आधारित ल|1061|MRD/Prabhupada 1063 - Magar page title part 7|1063}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 22: Line 25:


<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<mp3player>File:660219BG-NEW_YORK_clip06.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/660219BG-NEW_YORK_clip06.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 30: Line 33:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
Place your Magar text here
ईस दृश्य जगताङ विचित्र–विचित्र घटनाको छान्च दाङ्नाङ ईस जगतो नुन्लाक इचेयौ परमनियत्तौ ज हुट लेकेपरिस्ले टेच कुरा ज्ञान छान्ने । नियन्त्रणबिना हिड घटनाको घटदिस्के माहेक्ले । हटै नियन्ताको मामन्दिलाङ टेच जजाकुङपन आले । काट सेच कार होच्यौ सेच रफ्तार लेच हटै सेच इन्जिन लेच कार लामाङ ह्वामलेया टेध्याङ काट जजइ हि सोच्दिले टेध्याङ “ईस कार कुटरी ह्वामले न त इसके घोडै टन्दिमले न त अर कुनै जनावरे ?” टर काट र्कहाङ्च र्भमिके थाहा लेह्ले होस कार ड्राइभर बिना माह्वाले टेम । होस कार काट ईन्जिनियारे अथवा काट बिजुल पावर हाउसाङ....छिनिङ पिहिन जम्मै मेसिनो दिन ले टर काने काट कुरा सधै वार्के परिस्ले होस जम्मै सेम्ह काम जाट्च मेसिनो नुन्लाक काट ड्राइभर ले टेम । ठीक होट्च परमेश्वरकोज ड्राइभर अध्ययक्षज आलेको । प्रत्येक वस्तुय होस्को परमेश्वरकुङ निर्देशनाङ मुनिसिङ कर्म जाट्मले । अब ईस जीवकोके भगवान्कोई मेह्कुलुङ अंशवो रुपाङ स्वीकार जाट्मलेको ईस भगवद्गीताङ इच्यौ चर्चा नुन्लाकाङो अध्याय याङ जाट्छिस्ले । होस जम्मै परमेश्वरकुङ भाग हटै अंश आले । ममैवांशो जीव भूत: ([[Vanisource:BG 15.7 (1972)|भ गी १५।७]]) टेच भाग हटै अंश आले । सुनो काट टुक्रा घलिङ सुन ज आले, समुन्द्राङो काट थोपा दि घलिङ समुन्द्र लख छेस्म छान्ने, होट्ज, कान्को जीवात्माको घलिङ परमनियन्ता ईश्वर अथवा भगवान श्रीकृष्णकुङ अंश आले । कान्को टुङ घलिङ सुक्ष्म मात्राङ परमेश्वरकुङ गुणको ले । कान्को घलिङ परमेश्वरकुङ अधीनाङ मुच सुक्ष्म ईश्वर आले । कान्कोई प्रकृतिके नियन्त्रण कायम जाट्के प्रयत्न जाट्लिङ । छिनिङ पिहिन कान्कोई आकाशाङो ग्रहको तथा अन्तरिक्ष याङ घलिङ कान्कुङ आधिपत्य कायम जाट्के साहस जाट्मलिङ । वस्तुकोके मेकुङ नियन्त्रणाङ दाके प्रवृति श्रीकृष्ण कठा ले होस्इटेम, कान्को टङ घलिङ होस्ई प्रवृति अझै ले ।कानको कठा भौतिक प्रकृतिके शासन जाट्के पवृत्ति निहित लेध्याङ र कानको परमनियन्ता टेध्याङ माले, होस्ई कुरा भगवद्गीताङ व्याख्या जाट्मलेको ।
<!-- END TRANSLATED TEXT -->


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
भैतिक प्रकृति हि आले ? प्रकृति घलिङ व्याख्या जाट्मले । प्रकृति, भौतिक प्रकृति घलिङ भगवद्गीताङ व्याख्या जाट्मले होलाङ जीवकोके पराप्रकृति टेमले । प्रकृति परा अले अथवा अपरा होस्को सधै परमेश्वरकुङ नियन्त्रणाङ मुलेको । प्रकृतिके काट बिहा छान्च माझौ रुपाङ मन्दिले हिके टेध्याङ काम बिहा छान्च माझाके मेनो बुदैइ नियन्त्रण जाट्ले होट्ज प्रकृतिके घलिङ परमेश्वरकोई नियन्त्रण जाट्मलेको । प्रकृति सधै परमेश्वरकुङ अधीनाङ मुलेको होस्कोकठा भगवान्कुङ प्रभुत्व छान्ने हि के टेध्याङ भगवान् कोज प्रभु आले । जीव प्रकृति निहिस्मानके परमेश्वरे शासन र नियन्त्रण जाट्मलेको जम्मै जीवको परमेश्वरकुङ अंश आले टेध्याङ र होस्काके प्रकृति ज मन्दिले भगवद्गीतौ सातौं अध्याय याङ ईस कुराके इट स्पष्ट जाट्मले –“अपरेयमितस्त्वन्यां विद्धि अपरा ([[Vanisource:BG 7.5 (1972)|भ गी ७।५]]) इस भौतिक प्रकृति ङौ अपरा प्रकृति आले टर ईस टेनाङ आलाक आस्काट प्रकृति ले? होस “जीव भुताम्” अथवा जीव आले ...
'''Hindi'''
 
तो हम, हम गलत हैं । जब हम दृश्य जगत में विचित्र विचित्र बातें घटते देखते हैं, तो हमें यह जानना चाहिए के इस जगत के पीछे नियन्ता का हाथ है । बिना नियन्त्रण के कुछ भी हो पाना सम्भव नहीं । नियन्ता को ना मानना बचपना होगा । उसाहरणार्थ एक बहुत अच्छी मोटर कार, तेज़ गति वाली, और बहुत अच्छI इंजीनियरिंग व्यवस्था, सड़क पर चल रही है । एक बच्चा यह सोच सकता है, कि " यह मोटर कार कैसे चल रही है, बिना किसी भी घोड़े की मदद या किसी भी खींचने वाले पशु के बिना ? " लेकिन एक समझदार आदमी या एक बुजुर्ग व्यक्ति, जानता है कि मोटर गाड़ी में सभी इंजीनियरिंग व्यवस्था के बावजूद चालक के बिना यह चल नहीं सकता है । एक मोटर कार की इंजीनियरिंग व्यवस्था, या बिजलीघर में ... अब वर्तमान समय यह मशीनरी का ज़माना है, लेकिन हमें हमेशा यह पता होना चाहिए कि मशीनरी के पीछे, मशीनरी के अद्भुत काम के पीछे, एक चालक है । तो परमेश्वर चालक हैं, अध्यक्ष । वे परमेश्वर हैं जिसके निर्देश से सब कुछ चल रहा है । अब ये जीव, वे स्वीकार किए गये हैं भगवान द्वारा इस भगवद्- गीता में, जैसा कि हम अगले अध्यायों में देखेंगे, कि वे भगवान के अंश-रूप हैं । ममैवांशो जीव भूत: ([[Vanisource:BG 15.7|भ गी १५।७]]) । अंश का अर्थ है अंश-रुप । अब सोने का एक कण भी सोना होता है, समुद्र के पानी का एक बूंद, भी खारा होता है, इसी तरह, हम जीव, सर्वोच्च नियंत्रक के अंश-रूप हैं, ईश्वर, भगवान, या भगवान श्री कृष्ण, हम युक्त है, मेरे कहने का मतलब है, सूक्ष्म मात्रा में परमेश्वर के सभी गुणों से । क्योंकि हम सूक्ष्म ईश्वर हैं, अधीनस्थ ईश्वर हैं । हम भी नियंत्रिण करने का प्रयास कर रहे हैं। हम प्रकृति पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रहे हैं । इस समय अाप अंतरिक्ष को वश में करने की कोशिश कर रहे हैं । आप कृत्रिम ग्रहों को फ्लोट करने की कोशिश कर रहे हैं । तो नियंत्रिण करने या सृजन करने की यह प्रवृत्ति है क्योंकि आंशिक रूप से हममे यह प्रवृत्ति है लेकिन हमें यह पता होना चाहिए कि यह प्रवृत्ति होना पर्याप्त नहीं है। हमारी भौतिक प्रकृति पर नियंत्रण करने की प्रवृत्ति, भौतिक प्रकृति पर प्रभुत्व जमाने की प्रवृत्ति है, लेकिन हम परम-नियन्ता नहीं हैं । तो इसकी व्याख्या भगवद - गीता में की गई है ।  
 
तो यह भौतिक प्रकृति क्या है ? प्रकृति की भी व्याख्या की गई है । प्रकृति, भौतिक प्रकृति, की व्याख्या भगवदf-गीता में अपरा, अपरा प्रकृति के रूप में हुई है अपरा प्रकृति, और जीव को परा प्रकृति ( उत्कृष्‌ट प्रकृति ) कहा गया है । प्रकृति का अर्थ है जो सदा नियंत्रिण में रहती है... प्रकृति स्त्री स्वरूपा है जिस प्रकार एक पति अपनी पत्नी के कार्यकलाप को नियंत्रित करता है, इसी तरह, प्रकृति भी अधीनस्थ है प्रभु, भगवान अध्यक्ष हैं, और यह प्रकृति, दोनों जीव और भौतिक प्रकृति, भिन्न भिन्न प्रकृतियॉ हैं, नियंत्रित, भगवान द्वारा अधिशासित तो भगवद्-गीता के अनुसार, यद्यपि सारे जीव परमेश्वर के अंश-रूप हैं, लेकिन वे प्रकृति ही माने जाते हैं इसका उल्लेख भगवद्-गीता के सातवें अध्याय में हुअा है, अपरेयमितस्त्वन्यां विद्धि अपरा ([[Vanisource:BG 7.5|भ गी ७।५]]) । यह भौतिक प्रकृति अपरा इयम है । इतस तु, और इस से परे एक और प्रकृति है । और वह क्या है ? जीव-भूत, ये ...  


तो यह प्रकृति तीन गुणों से निर्मित है : सतोगुण, रजोगुण अौर तमोगुण । और इन तीनों गुणों के परे, तीन प्रकार के गुण, सतोगुण, रजोगुण और, मेरे कहने का मतलब है, तमोगुण, नित्य काल है। नित्य काल है और प्रकृति के इन तीन गुणों के संयोग से और नित्य काल के नियंत्रण के तहत, कार्यकलाप होते हैं । ये कार्यकलाप कर्म कहलाते है ये कार्यकलाप अनादि काल से चले अा रहे हैं और हम सभी अपने कार्यकलाप (कर्मों) के फलस्वरुप सुख या दुख भोग रहे हैं
हटै ईस प्रकृति, सोम गुणीङ बन्दिस्मले, सत्वगुण, रजोगुण हटै तमोगुण । ईस सोम गुण सत्वगुण, रजोगुण हटै तमोगुण टेनाङ देमाङ शास्वत समय ले ईसै प्रकृतियो गुण हटै शाश्वत समयो विस्तार हटै नियन्त्रणो  संयोगीङ अनेक क्रियाकलापको उत्पन्न छान्ने होस्के कर्म टेछिस्ले ईस क्रियाकलापको अनादिकालिन होरा कानिङ जाट्मनिङ, हटै होस्ई क्रियाकलापो फलअनुसार सुख दुख वो भागी छान्निङ ।  
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 12:09, 10 June 2018



660219-20 - Lecture BG Introduction - New York

ईस दृश्य जगताङ विचित्र–विचित्र घटनाको छान्च दाङ्नाङ ईस जगतो नुन्लाक इचेयौ परमनियत्तौ ज हुट लेकेपरिस्ले टेच कुरा ज्ञान छान्ने । नियन्त्रणबिना हिड घटनाको घटदिस्के माहेक्ले । हटै नियन्ताको मामन्दिलाङ टेच जजाकुङपन आले । काट सेच कार होच्यौ सेच रफ्तार लेच हटै सेच इन्जिन लेच कार लामाङ ह्वामलेया टेध्याङ काट जजइ हि सोच्दिले टेध्याङ “ईस कार कुटरी ह्वामले न त इसके घोडै टन्दिमले न त अर कुनै जनावरे ?” टर काट र्कहाङ्च र्भमिके थाहा लेह्ले होस कार ड्राइभर बिना माह्वाले टेम । होस कार काट ईन्जिनियारे अथवा काट बिजुल पावर हाउसाङ....छिनिङ पिहिन जम्मै मेसिनो दिन ले टर काने काट कुरा सधै वार्के परिस्ले होस जम्मै सेम्ह काम जाट्च मेसिनो नुन्लाक काट ड्राइभर ले टेम । ठीक होट्च परमेश्वरकोज ड्राइभर अध्ययक्षज आलेको । प्रत्येक वस्तुय होस्को परमेश्वरकुङ निर्देशनाङ मुनिसिङ कर्म जाट्मले । अब ईस जीवकोके भगवान्कोई मेह्कुलुङ अंशवो रुपाङ स्वीकार जाट्मलेको ईस भगवद्गीताङ इच्यौ चर्चा नुन्लाकाङो अध्याय याङ जाट्छिस्ले । होस जम्मै परमेश्वरकुङ भाग हटै अंश आले । ममैवांशो जीव भूत: (भ गी १५।७) टेच भाग हटै अंश आले । सुनो काट टुक्रा घलिङ सुन ज आले, समुन्द्राङो काट थोपा दि घलिङ समुन्द्र लख छेस्म छान्ने, होट्ज, कान्को जीवात्माको घलिङ परमनियन्ता ईश्वर अथवा भगवान श्रीकृष्णकुङ अंश आले । कान्को टुङ घलिङ सुक्ष्म मात्राङ परमेश्वरकुङ गुणको ले । कान्को घलिङ परमेश्वरकुङ अधीनाङ मुच सुक्ष्म ईश्वर आले । कान्कोई प्रकृतिके नियन्त्रण कायम जाट्के प्रयत्न जाट्लिङ । छिनिङ पिहिन कान्कोई आकाशाङो ग्रहको तथा अन्तरिक्ष याङ घलिङ कान्कुङ आधिपत्य कायम जाट्के साहस जाट्मलिङ । वस्तुकोके मेकुङ नियन्त्रणाङ दाके प्रवृति श्रीकृष्ण कठा ले होस्इटेम, कान्को टङ घलिङ होस्ई प्रवृति अझै ले ।कानको कठा भौतिक प्रकृतिके शासन जाट्के पवृत्ति निहित लेध्याङ र कानको परमनियन्ता टेध्याङ माले, होस्ई कुरा भगवद्गीताङ व्याख्या जाट्मलेको ।

भैतिक प्रकृति हि आले ? प्रकृति घलिङ व्याख्या जाट्मले । प्रकृति, भौतिक प्रकृति घलिङ भगवद्गीताङ व्याख्या जाट्मले । होलाङ जीवकोके पराप्रकृति टेमले । प्रकृति परा अले अथवा अपरा होस्को सधै परमेश्वरकुङ नियन्त्रणाङ मुलेको । प्रकृतिके काट बिहा छान्च माझौ रुपाङ मन्दिले । हिके टेध्याङ काम बिहा छान्च माझाके मेनो बुदैइ नियन्त्रण जाट्ले होट्ज प्रकृतिके घलिङ परमेश्वरकोई नियन्त्रण जाट्मलेको । प्रकृति सधै परमेश्वरकुङ अधीनाङ मुलेको । होस्कोकठा भगवान्कुङ प्रभुत्व छान्ने हि के टेध्याङ भगवान् कोज प्रभु आले । जीव र प्रकृति निहिस्मानके परमेश्वरे शासन र नियन्त्रण जाट्मलेको । जम्मै जीवको परमेश्वरकुङ अंश आले टेध्याङ र होस्काके प्रकृति ज मन्दिले । भगवद्गीतौ सातौं अध्याय याङ ईस कुराके इट स्पष्ट जाट्मले –“अपरेयमितस्त्वन्यां विद्धि अपरा (भ गी ७।५) इस भौतिक प्रकृति ङौ अपरा प्रकृति आले टर ईस टेनाङ आलाक आस्काट प्रकृति ले? होस “जीव भुताम्” अथवा जीव आले ...

हटै ईस प्रकृति, सोम गुणीङ बन्दिस्मले, सत्वगुण, रजोगुण हटै तमोगुण । ईस सोम गुण सत्वगुण, रजोगुण हटै तमोगुण टेनाङ देमाङ शास्वत समय ले । ईसै प्रकृतियो गुण हटै शाश्वत समयो विस्तार हटै नियन्त्रणो संयोगीङ अनेक क्रियाकलापको उत्पन्न छान्ने होस्के कर्म टेछिस्ले । ईस क्रियाकलापको अनादिकालिन होरा कानिङ जाट्मनिङ, हटै होस्ई क्रियाकलापो फलअनुसार सुख र दुख वो भागी छान्निङ ।