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- HI/Prabhupada 0715 - आप भगवान का प्रेमी बन जाओ । यह प्रथम श्रेणी का धर्म है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0716 - हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0717 - मेरे पिता एक भक्त थे, और उन्होंने हमें प्रशिक्षित किया (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0718 - बेटे और चेलों को हमेशा ड़ाटा जाना चाहिए (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0719 - सन्यास ले रहे हो उसे बहुत अच्छी तरह से निभाओ (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0720 - कृष्ण भावनामृत द्वारा तुम अपने कामुक इच्छा को नियंत्रित कर सकते हो (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0721 - तुम ईश्वर के बारे में कल्पना नहीं कर सकते हो । यह मूर्खता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0722 - आलसी मत बनो । हमेशा संलग्न रहो (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0723 - रसायन जीवन से आते हैं ; जीवन रसायन से नहीं आता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0724 - भक्ति की परीक्षा (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0725 - चीजें हमेशा इतनी आसानी से नहीं होंगी । माया बहुत, बहुत बलवान है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0726 - सुबह जल्दी उठना चहिए और हरे कृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0727 - मैं कृष्ण के सेवक के सेवक का सेवक हूं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0728 - जो राधा-कृष्ण लीला को भौतिक समझते हैं, वे पथभ्रष्ट हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0729 - एक सन्यासी छोटा सा अपराध करता है, उसे एक हजार गुना बढ़ाया जाता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0730 - फिर सिद्धांत बोलिया चित्ते, कृष्ण को समझने में आलसी मत बनो (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0731 - भागवत धर्म इस तरह के व्यक्तियों के लिए नहीं है जो जलते हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0732 - मैं हवा या आकाश की सेवा नहीं कर सकता । मुझे एक व्यक्ति की सेवा करनी है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0734 - जो बोल नहीं सकता है, वह एक महान वक्ता बन जाता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0735 - हम इतने मूर्ख हैं कि अगले जन्म में विश्वास नहीं करते हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0736 - इन सभी तथाकथित या धोखा देने वाली धार्मिक प्रणालियों को त्याग दो (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0737 - पहला आध्यात्मिक ज्ञान यह है कि 'मैं यह शरीर नहीं हूं' (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0738 - कृष्ण और बलराम, चैतन्य नित्यानंद के रूप में, फिर से अवतरित हुए हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0739 - हमें श्री चैतन्यमहाप्रभु के लिए बहुत सुंदर मंदिर का निर्माण करने का प्रय्त्न करना चाहिए (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0740 - हमको शास्त्रों के अध्ययन से समझना होगा (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0741 - कृष्ण भावनामृत आंदोलन का उद्देश्य है मानव समाज की मरम्मत (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0742 - भगवान की अचिन्त्य शक्ति (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0743 - अगर तुम आनंद के अपने कार्यक्रम का निर्माण करते हो तो तुम्हे थप्पड़ मिलेगा (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0744 - जैसे ही तुम कृष्ण को देखते हो, तुम्हे शाश्वत जीवन मिलता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0745 - तुम विश्वास करो या नहीं, कृष्ण के शब्द झूठे नहीं हो सकते हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0746 - हम एक ऐसी पीढ़ी चाहते हैं जो कृष्ण भावनामृत का प्रचार कर सकें (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0747 - द्रौपदी ने प्रार्थना की 'कृष्ण, अगर आप चाहो, आप बचा सकते हो' (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0748 - भगवान भक्त को संतुष्ट करना चाहते हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0749 - कृष्ण दर्द महसूस कर रहे हैं । तो तुम कृष्ण भावनाभावित हो जाओ (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0750 - क्यों माँ इतनी सम्मानीय है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0751 - हमे भोजन बस अच्छी तरह से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लेना चाहिए (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0752 - जुदाई से कृष्ण को महसूस किया जा सकता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0753 - बड़े, बड़े आदमी उन्हें एक किताबों का समूह लेने दो और पढने दो (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0754 - बहुत शिक्षाप्रद है नास्तिक और आस्तिक के बीच एक संघर्ष (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0755 - समुद्र पीड़ित (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0756 - आधुनिक शिक्षा में कोई वास्तविक ज्ञान नहीं है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0757 - वह भगवान को भूल गया है उसकी चेतना को पुनर्जीवित कराओ, यही असली अच्छी चीज़् है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0758 - उस व्यक्ति की सेवा करो जिसने कृष्ण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0759 - गायों को पता है कि 'ये लोग मुझे मार नहीं डालेंगे ।' वे चिंता में नहीं हैं (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0760 - यौन जीवन इस आंदोलन में मना नहीं है, लेकिन पाखंड मना है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0761 - जो भी यहां आता है, पुस्तकों को पढना चाहता है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0762 - बहुत सख्त रहें, ईमानदारी से जपें । आपका यह जीवन सुरक्षित् है, आपका अगला जीवन सुरक्षित् है (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0763 - हर कोई गुरु बन जाएगा जब वह विशेषज्ञ शिष्य होगा, लेकिन यह अपरिपक्व प्रयास क्यों (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0764 - मजदूरों को लगा कि, 'यीशु मसीहा मजदूरों में से कोई एक होगा' (2 revisions)
- HI/Prabhupada 0765 - तुम्हें पूरी तरह सचेत होना होगा कि, 'सब कुछ कृष्ण का है और अपना कुछ भी नहीं' (2 revisions)