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  1. HI/Prabhupada 0816 - यह शरीर एक मशीन है, लेकिन हम खुद को मशीन मान रहे हैं‏‎ (2 revisions)
  2. HI/Prabhupada 0817 - केवल यह कहना कि ''मैं ईसाई हूं" "मैं हिंदू हूँ" 'मैं मुसलमान हूँ, कोई लाभ नहीं है‏‎ (2 revisions)
  3. HI/Prabhupada 0818 - सत्व गुण के मंच पर, तुम सर्वोत्तम को समझ सकते हो‏‎ (2 revisions)
  4. HI/Prabhupada 0819 - आश्रम का मतलब है आध्यात्मिक विकास‏‎ (2 revisions)
  5. HI/Prabhupada 0820 - गुरु का मतलब है जो भी वे अनुदेश देंगे, हमें किसी भी तर्क के बिना स्वीकार करना है‏‎ (2 revisions)
  6. HI/Prabhupada 0821 - पंडित का मतलब यह नहीं है कि जिसके पास डिग्री है । पंडित मतलब सम चित्ता‏‎ (2 revisions)
  7. HI/Prabhupada 0822 - तुम पवित्र बनते हो केवल कीर्तन करने से‏‎ (2 revisions)
  8. HI/Prabhupada 0823 - यह जन्मसिद्ध अधिकार है भारत में, वे स्वत ही कृष्ण भावनाभावित हैं‏‎ (2 revisions)
  9. HI/Prabhupada 0824 - आध्यात्मिक दुनिया में कोई असहमति नहीं है‏‎ (2 revisions)
  10. HI/Prabhupada 0825 - मानव जीवन का एकमात्र प्रयास होना चाहिए कि कैसे कृष्ण के चरण कमलों की अाश्रय लें‏‎ (2 revisions)
  11. HI/Prabhupada 0826 - हमारा आंदोलन है कि उस कड़ी मेहनत को कृष्ण के काम में लगाना‏‎ (2 revisions)
  12. HI/Prabhupada 0827 - आचार्य का कर्तव्य है शास्त्र की आज्ञा को बताना‏‎ (2 revisions)
  13. HI/Prabhupada 0828 - जो अपने अधीनस्थ का ख्याल रखता है, वह गुरु है‏‎ (2 revisions)
  14. HI/Prabhupada 0829 - चार दीवार तुम्हे सुनेंगे । यह पर्याप्त है। निराश मत होना । जप करते रहो‏‎ (2 revisions)
  15. HI/Prabhupada 0830 - यह वैष्णव तत्त्वज्ञान है । हम दास बनने की कोशिश कर रहे हैं‏‎ (2 revisions)
  16. HI/Prabhupada 0831 - हम असाधु मार्ग का अनुसरण नहीं कर सकते । हमें साधु मार्ग का अनुसरण करना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  17. HI/Prabhupada 0832 - शुद्धता धर्मपरायण के साथ ही होती है‏‎ (2 revisions)
  18. HI/Prabhupada 0833 - तुम कृष्ण, वैष्णव, गुरु और अग्नि के सामने प्रतिज्ञा ले रहे हो, सेवा के लिए ।‏‎ (2 revisions)
  19. HI/Prabhupada 0834 - भक्ति केवल भगवान के लिए ही है‏‎ (2 revisions)
  20. HI/Prabhupada 0835 - आधुनिक राजनेता कर्म पर ज़ोर देते हैं क्योंकि वे सुअर और कुत्तेकी तरह मेहनत करना चाहते है‏‎ (2 revisions)
  21. HI/Prabhupada 0836 - हमें मानव जीवन की पूर्णता के लिए कुछ भी बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  22. HI/Prabhupada 0837 - हम तब तक शक्तिशाली रहते हैं जब तक कृष्ण हमें रखते हैं‏‎ (2 revisions)
  23. HI/Prabhupada 0838 - सब कुछ शून्य हो जाएगा जब भगवान नहीं रहते‏‎ (2 revisions)
  24. HI/Prabhupada 0839 - जब हम बच्चे हैं और प्रदूषित नहीं हैं, हमें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए भागवत धर्म मे‏‎ (2 revisions)
  25. HI/Prabhupada 0840 - एक वेश्या थी जिसका वेतन था हीरे के एक लाख टुकड़े‏‎ (2 revisions)
  26. HI/Prabhupada 0841 - आध्यात्मिक द्रष्टि से, अविर्भाव और तीरोभाव के बीच कोई अंतर नहीं है‏‎ (2 revisions)
  27. HI/Prabhupada 0842 - कृष्ण भावनामृत आंदोलन, निवृत्ति मार्ग का प्रशिक्षण है, बुनियादी सिद्धांत, कई मनाई हैं‏‎ (2 revisions)
  28. HI/Prabhupada 0843 - उनके जीवन की शुरुआत ही बहुत गलत है । वे इस शरीर को आत्मा मान रहे हैं‏‎ (2 revisions)
  29. HI/Prabhupada 0844 - केवल राजा को प्रसन्न करके, तुम भगवान को प्रसन्न कर सकते हो‏‎ (2 revisions)
  30. HI/Prabhupada 0846 - भौतिक दुनिया है छाया, आध्यात्मिक दुनिया का प्रतिबिंब‏‎ (2 revisions)
  31. HI/Prabhupada 0847 - कलियुग का यह वर्णन श्रीमद भागवतम में दिया गया है‏‎ (2 revisions)
  32. HI/Prabhupada 0848 - कोई भी गुरु नहीं बन सकता जब तक वह कृष्ण तत्त्व नहीं जानता हो‏‎ (2 revisions)
  33. HI/Prabhupada 0849 - हम भगवान को देखना चाहते हैं, लेकिन हम स्वीकार नहीं करते हैैं कि हम योग्य नहीं हैं‏‎ (2 revisions)
  34. HI/Prabhupada 0850 - अगर कुछ पैसे मिलें, तो पुस्तकें छापो‏‎ (2 revisions)
  35. HI/Prabhupada 0851 - चबाए हुए को चबाना । यह भौतिक जीवन है‏‎ (2 revisions)
  36. HI/Prabhupada 0852 - आपके हृदय की गहराईओं में, भगवान हैं‏‎ (2 revisions)
  37. HI/Prabhupada 0853 - एसा नहीं है कि हम इस ग्रह में आए हैं । हम कई अन्य ग्रहों में जा चुकें है‏‎ (2 revisions)
  38. HI/Prabhupada 0854 - महानतम से अधिक महान, और सबसे छोटे से छोटा । ये भगवान हैं‏‎ (2 revisions)
  39. HI/Prabhupada 0855 - अगर मैं अपने भौतिक आनंद को रोक दूँ, तो मेरे जीवन का आनंद समाप्त हो जाएगा । नहीं‏‎ (2 revisions)
  40. HI/Prabhupada 0856 - अात्मा भी व्यक्ति है जितने के भगवान व्यक्ति हैं‏‎ (2 revisions)
  41. HI/Prabhupada 0857 - कृत्रिम अावरण को हटाना होगा । फिर हम कृष्ण भावनामृत में अाते हैं‏‎ (2 revisions)
  42. HI/Prabhupada 0858 - हम प्रशिक्षण दे रहे हैं, हम वकालत कर रहे हैं कि अवैध यौन संबंध पाप है‏‎ (2 revisions)
  43. HI/Prabhupada 0859 - यही पश्चिमी सभ्यता का दोष है। वोक्स पोपुलै, जनता की राय लेना‏‎ (2 revisions)
  44. HI/Prabhupada 0860 - यह ब्रिटिश सरकार की नीति थी कि हर भारतीय चीज़ की निंदा करना‏‎ (2 revisions)
  45. HI/Prabhupada 0861 - मेलबोर्न शहर के सभी भूखे पुरुष, यहाँ आओ, तुम भर पेट खाना खाअो‏‎ (2 revisions)
  46. HI/Prabhupada 0863 - तुम मांस खा सकते हो, लेकिन तुम अपने पिता और माता की हत्या करके मांस नहीं खा सकते हो‏‎ (2 revisions)
  47. HI/Prabhupada 0864 - पूरे मानव समाज को सुखी करने के लिए, यह भगवद भावनामृत आंदोलन फैलना बहुत आवश्यक है‏‎ (2 revisions)
  48. HI/Prabhupada 0865 - तुम देश को ले रहे हो, लेकिन शास्त्र ग्रहों को लेता है, देश को नहीं‏‎ (2 revisions)
  49. HI/Prabhupada 0866 - सब कुछ मर जाएगा - पेड़, पौधे, पशु, सब कुछ‏‎ (2 revisions)
  50. HI/Prabhupada 0867 - हम शाश्वत हैं और हम अपनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं । यही ज्ञान है‏‎ (2 revisions)

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