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  1. HI/Prabhupada 1027 - मेरी पत्नी, मेरे बच्चे और समाज मेरे सैनिक हैं । अगर मैं मुसीबत मे हूँ, वे मेरी मदद करेंगे‏‎ (2 revisions)
  2. HI/Prabhupada 1028 - ये सभी नेता, वे स्थिति को बिगाड़ रहे हैं‏‎ (2 revisions)
  3. HI/Prabhupada 1029 - हमारा धर्म वैराग्य नहीं कहता है । हमारा धर्म भगवान से प्रेम करना सिखाता है‏‎ (2 revisions)
  4. HI/Prabhupada 1030 - मानव जीवन भगवान को समझने के लिए है । यही मानव जीवन का एमात्र उद्देश्य है‏‎ (2 revisions)
  5. HI/Prabhupada 1031 - प्रत्येक जीव, वे भौतिक अावरण से ढके हैं‏‎ (2 revisions)
  6. HI/Prabhupada 1032 - अपने आपक को भौतिक शक्ति से आध्यात्मिक शक्ति की और ले जाने की पद्धति‏‎ (2 revisions)
  7. HI/Prabhupada 1033 - यीशु मसीह भगवान के पुत्र हैं, भगवान के श्रेष्ठ पुत्र, तो उनके प्रति हमें पूरा सम्मान है‏‎ (2 revisions)
  8. HI/Prabhupada 1034 - मृत्यु का अर्थ है सात महीनों की नींद । बस । यही मृत्यु है‏‎ (2 revisions)
  9. HI/Prabhupada 1035 - हरे कृष्ण जप द्वारा अपने अस्तित्व की वास्तविक्ता को समझो‏‎ (2 revisions)
  10. HI/Prabhupada 1036 - सात ग्रह प्रणालियॉ हमारे उपर हैं और सात ग्रह प्रणालियॉ नीचे भी हैं‏‎ (2 revisions)
  11. HI/Prabhupada 1037 - इस भौतिक जगत में हम देखते हैं कि लगभग हर कोई भगवान को भूल गया है‏‎ (2 revisions)
  12. HI/Prabhupada 1038 - शेर का ख़ुराक दूसरा जानवर है । मनुष्य का ख़ुराक फल, अनाज, दूध की उत्पाद है‏‎ (2 revisions)
  13. HI/Prabhupada 1039 - गाय माँ है क्योंकि हम गाय का दूध पीते हैं । मैं कैसे नकार सकता हूँ कि वह माँ नहीं है ?‏‎ (2 revisions)
  14. HI/Prabhupada 1040 - मानव जीवन का हमारा मिशन दुनिया भर में असफल हो रहा है‏‎ (2 revisions)
  15. HI/Prabhupada 1041 - केवल लक्षणात्मक उपचार से तुम मनुष्य को स्वस्थ नहीं कर सकते‏‎ (2 revisions)
  16. HI/Prabhupada 1042 - मैं आपके मोरिशियस में देखता हूं, आपके पास अनाज के उत्पादन के लिए पर्याप्त भूमि है‏‎ (2 revisions)
  17. HI/Prabhupada 1043 - हम कोका कोला नहीं पीते हैं । हम पेप्सी कोला नहीं पीते हैं । हम धूम्रपान नहीं करते हैं‏‎ (2 revisions)
  18. HI/Prabhupada 1044 - मेरे बचपन में मैं दवाई नहीं लेता था‏‎ (2 revisions)
  19. HI/Prabhupada 1045 - मैं क्या कहूं ? हर बकवास व्यक्ति कुछ बकवास बात करेगा । मैं इसे कैसे रोक सकता हूं ?‏‎ (2 revisions)
  20. HI/Prabhupada 1046 - तय करो कि क्या एेसा शरीर पाना है जो कृष्ण के साथ नृत्य करने में, बात करने में सक्षम है‏‎ (2 revisions)
  21. HI/Prabhupada 1047 - उसने कुछ मिथ्या कर्तव्य को अपनाया है और उसके लिए कडी मेहनत कर रहा है, इसलिए वह एक गधा है‏‎ (2 revisions)
  22. HI/Prabhupada 1048 - तुम कभी सुखी नहीं रहोगे - पूर्ण शिक्षा - जब तक तुम भगवद धाम वापस नहीं जाते हो‏‎ (2 revisions)
  23. HI/Prabhupada 1049 - गुरु भगवान का विश्वसनीय सेवक । यही गुरु है‏‎ (2 revisions)
  24. HI/Prabhupada 1050 - 'तुम ऐसा करो और मुझे पैसे दो और तुम सुखी हो जाओगे' - वह गुरु नहीं है‏‎ (2 revisions)
  25. HI/Prabhupada 1052 - माया के प्रभाव में अाकर हम सोच रहे हैं कि 'यह मेरी संपत्ति है'‏‎ (2 revisions)
  26. HI/Prabhupada 1053 - क्योंकि तुम्हे समाज को चलाना है, इसका मतलब यह नहीं कि तुम असली बात भूल जाअो‏‎ (2 revisions)
  27. HI/Prabhupada 1054 - वैज्ञानिक, तत्वज्ञानी, विद्वान - सभी नास्तिक‏‎ (2 revisions)
  28. HI/Prabhupada 1055 - देखो कि अपना कर्तव्य करते हुए अापने भगवान को प्रसन्न किया है या नहीं‏‎ (2 revisions)
  29. HI/Prabhupada 1056 - कृष्ण भावनामृत आंदोलन आध्यात्मिक मंच पर है, शरीर, मन और बुद्धि से ऊपर‏‎ (2 revisions)
  30. HI/Prabhupada 1057 - भगवद्-गीता को गीतोपनिषद् भी कहा जाता है, वैदिक ज्ञान का सार‏‎ (2 revisions)
  31. HI/Prabhupada 1058 - भगवद गीता के वक्ता भगवान श्री कृष्ण हैं‏‎ (2 revisions)
  32. HI/Prabhupada 1059 - प्रत्येक व्यक्ति का भगवान के साथ विशिष्ट संबंध है‏‎ (2 revisions)
  33. HI/Prabhupada 1060 - जब तक कोई भगवद गीता का पाठ विनम्र भाव से नहीं करता है...‏‎ (2 revisions)
  34. HI/Prabhupada 1061 - इस भगवद गीता की विषयवस्तु में पाँच मूल सत्यों का ज्ञान निहित है‏‎ (2 revisions)
  35. HI/Prabhupada 1062 - हमारी वृत्ति भौतिक प्रकृति को नियंत्रित करने की है‏‎ (2 revisions)
  36. HI/Prabhupada 1063 - हमें सभी प्रकार के कर्मफल से मुक्ति दो‏‎ (2 revisions)
  37. HI/Prabhupada 1064 - भगवान हरेक जीव के हृदय में वास करते हैं‏‎ (2 revisions)
  38. HI/Prabhupada 1065 - व्यक्ति को सर्वप्रथम यह जान लेना चाहिए कि वो यह शरीर नहीं है‏‎ (2 revisions)
  39. HI/Prabhupada 1066 - अल्पज्ञानी लोग परम सत्य को निराकार मानते हैं‏‎ (2 revisions)
  40. HI/Prabhupada 1067 - हमें भगवद गीता को किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी के बग़ैर, बिना घटाए स्वीकार करना है‏‎ (2 revisions)
  41. HI/Prabhupada 1068 - विभिन्न प्रकार के गुणों के अनुसार तीन प्रकार के कर्म हैं‏‎ (2 revisions)
  42. HI/Prabhupada 1069 - रिलीजन से विश्वास का भाव सूचित होता है । विश्वास परिवर्तित हो सकता है - सनातन धर्म नहीं‏‎ (2 revisions)
  43. HI/Prabhupada 1070 - सेवा करना जीव का शाश्वत धर्म है‏‎ (2 revisions)
  44. HI/Prabhupada 1071 - अगर हम भगवान का संग करते हैं, उनका सहयोग करते हैं, तो हम सुखी बन जाते हैं‏‎ (2 revisions)
  45. HI/Prabhupada 1072 - भौतिक जगत को छोड़ना और नित्य धाम में अनन्दमय जीवन पाना‏‎ (2 revisions)
  46. HI/Prabhupada 1073 - जब तक हम भौतिक प्रकृति पर प्रभुत्व जताने की प्रवृत्ति को नहीं त्यागते‏‎ (2 revisions)
  47. HI/Prabhupada 1074 - इस संसार में जितने भी दुख का हम अनुभव करते हैं - ये सब शरीर से उत्पन्न है‏‎ (2 revisions)
  48. HI/Prabhupada 1075 - इस जीवन के कर्मो से हम अगले जीवन की तैयारी कर रहे हैं‏‎ (2 revisions)
  49. HI/Prabhupada 1076 - मृत्यु के समय हम या तो इस संसार में रह सकते हैं या आध्यात्मिक जगत जा सकते हैं‏‎ (2 revisions)
  50. HI/Prabhupada 1077 - भगवान पूर्ण हैं, उनके नाम और उनमे कोई अंतर नहीं है‏‎ (2 revisions)

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