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  1. HI/Prabhupada 0510 - आधुनिक सभ्यता, उन्हे आत्मा का ज्ञान नहीं है‏‎ (2 revisions)
  2. HI/Prabhupada 0511 - वास्तविक भुखमरी आत्मा की है । आत्मा को आध्यात्मिक भोजन नहीं मिल रहा है‏‎ (2 revisions)
  3. HI/Prabhupada 0512 - जो भौतिक प्रकृति के समक्ष आत्मसमर्पण करता है, उसे भुगतना पड़ता है‏‎ (2 revisions)
  4. HI/Prabhupada 0513 - कई अन्य शरीर हैं, ८४,००,००० अलग प्रकार के शरीर‏‎ (2 revisions)
  5. HI/Prabhupada 0514 - इधर, खुशी का मतलब है दर्द का थोड़ा अभाव‏‎ (2 revisions)
  6. HI/Prabhupada 0515 - तुम खुश नहीं हो सकते हो, श्रीमान, जब तक तुम्हे यह भौतिक शरीर मिला है‏‎ (2 revisions)
  7. HI/Prabhupada 0516 - तुम स्वतंत्रता का जीवन प्राप्त कर सकते हो, यह कहानी या उपन्यास नहीं है‏‎ (2 revisions)
  8. HI/Prabhupada 0517 - सिर्फ धनी परिवार में पैदा होने से, तुम्हे बीमारियों से प्रतिरक्षा नहीं मिलेगी‏‎ (2 revisions)
  9. HI/Prabhupada 0518 - बद्ध जीवन के चार कार्य का मतलब है, जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा, और रोग‏‎ (2 revisions)
  10. HI/Prabhupada 0519 - कृष्ण भावनामृत व्यक्ति, वे किसी छायाचित्र के पीछै नहीं पडे हैं‏‎ (2 revisions)
  11. HI/Prabhupada 0520 - हम जप कर रहे हैं, हम सुन रहे हैं, हम नाच रहे हैं, हम आनंद ले रहे हैं । क्यों‏‎ (2 revisions)
  12. HI/Prabhupada 0521 - मेरी नीति रूप गोस्वामी के पद् चिन्हों को अनुसरण करना है‏‎ (2 revisions)
  13. HI/Prabhupada 0522 - अगर तुम ईमानदारी से इस मंत्र का जाप करते हो, तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा‏‎ (2 revisions)
  14. HI/Prabhupada 0523 - अवतार का मतलब है जो उच्चतर ग्रह से आता है, उच्च ग्रह‏‎ (2 revisions)
  15. HI/Prabhupada 0524 - अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते‏‎ (2 revisions)
  16. HI/Prabhupada 0525 - माया इतनी मजबूत है, जैसे ही तुम थोडा सा आश्वस्त होते हो, तुरंत हमला होता है‏‎ (2 revisions)
  17. HI/Prabhupada 0526 - अगर हम बहुत दृढ़ता से कृष्ण को पकड़ते हैं, माया कुछ नहीं कर सकती है‏‎ (2 revisions)
  18. HI/Prabhupada 0527 - कृष्ण को अर्पण करने से हमारी हार नहीं होती है । हम केवल फायदे में रहते हैं‏‎ (2 revisions)
  19. HI/Prabhupada 0528 - राधारानी कृष्ण की आनन्द शक्ति हैं‏‎ (2 revisions)
  20. HI/Prabhupada 0529 - राधा और कृष्ण के प्रेम के मामले, साधारण नहीं हैं‏‎ (2 revisions)
  21. HI/Prabhupada 0530 - हम इस संकट से बाहर अा सकते हैं जब हम विष्णु का अाश्रय लेते हैं‏‎ (2 revisions)
  22. HI/Prabhupada 0531 - हम वैदिक साहित्य से समझते हैं, कृष्ण की शक्तियों की कई किस्में हैं‏‎ (2 revisions)
  23. HI/Prabhupada 0532 - कृष्ण के आनंद लेने में कुछ भौतिक नहीं है‏‎ (2 revisions)
  24. HI/Prabhupada 0533 - राधारानी हैं हरि प्रिया, कृष्ण की बहुत प्रिय हैं‏‎ (2 revisions)
  25. HI/Prabhupada 0534 - कृत्रिम रूप से कृष्ण को देखने की कोशिश मत करो‏‎ (2 revisions)
  26. HI/Prabhupada 0535 - हम जीव, हम कभी नहीं मरते हैं, कभी जन्म नहीं लेते हैं‏‎ (2 revisions)
  27. HI/Prabhupada 0536 - वेदों का अध्ययन करने का क्या फायदा है अगर तुम कृष्ण को समझ नहीं सके‏‎ (2 revisions)
  28. HI/Prabhupada 0537 - कृष्ण सबसे गरीब आदमी के लिए भी पूजा के लिए उपलब्ध हैं‏‎ (2 revisions)
  29. HI/Prabhupada 0538 - कानून का मतलब है राज्य द्वारा दिए गए वचन । तुम घर पर कानून नहीं बना सकते‏‎ (2 revisions)
  30. HI/Prabhupada 0539 - इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को समझने की कोशिश करनी चाहिए‏‎ (2 revisions)
  31. HI/Prabhupada 0540 - एक व्यक्ति की पूजा करना सबसे ऊँचे व्यक्तित्व के रूप में, क्रांतिकारी माना जाता है‏‎ (2 revisions)
  32. HI/Prabhupada 0541 - अगर तुम मुझसे प्यार करते हो, तो तुम्हे मेरे कुत्ते से प्यार करना होगा‏‎ (2 revisions)
  33. HI/Prabhupada 0542 - गुरु की योग्यता क्या है, कैसे हर कोई गुरु बन सकता है‏‎ (2 revisions)
  34. HI/Prabhupada 0543 - यह नहीं है कि आपको गुरु बनने का एक विशाल प्रदर्शन करना है‏‎ (2 revisions)
  35. HI/Prabhupada 0544 - हम विशेष रूप से भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर के मिशन पर जोर देते हैं‏‎ (2 revisions)
  36. HI/Prabhupada 0545 - असली कल्याण कार्य है आत्मा के हित को देखना‏‎ (2 revisions)
  37. HI/Prabhupada 0547 - मैंने यह सोचा था कि "मैं सबसे पहले बहुत अमीर आदमी बनूँगा, फिर मैं प्रचार करूँगा‏‎ (2 revisions)
  38. HI/Prabhupada 0548 - अगर तुम हरि के लिए सब कुछ त्यागने के स्तर पर अाते हो‏‎ (2 revisions)
  39. HI/Prabhupada 0549 - योग प्रणाली का मतलब कि तुम्हे इन्द्रियों को नियंत्रित करना है‏‎ (2 revisions)
  40. HI/Prabhupada 0550 - इस भ्रम के पीछे मत भागो‏‎ (2 revisions)
  41. HI/Prabhupada 0551 - हमारे छात्र इतने सारे कामों में व्यस्त हैं‏‎ (2 revisions)
  42. HI/Prabhupada 0552 - जन्म और मृत्यु की इस पुनरावृत्ति को कैसे रोकें, मैं जहर पी रहा हूँ‏‎ (2 revisions)
  43. HI/Prabhupada 0553 - तुम्हे हिमालय जाने की आवश्यकता नहीं है । तुम बस, लॉस एंजिल्स शहर में रहो‏‎ (2 revisions)
  44. HI/Prabhupada 0554 - इस मायिका दुनिया के प्रशांत महासागर के बीच में हैं‏‎ (2 revisions)
  45. HI/Prabhupada 0555 - आध्यात्मिक समझ के मामले में सोना‏‎ (2 revisions)
  46. HI/Prabhupada 0556 - आत्म साक्षात्कार की पहली समझ है, कि आत्मा शाश्वत है‏‎ (2 revisions)
  47. HI/Prabhupada 0557 - हमें बहुत दृढ़ता से हरिदास ठाकुर की तरह कृष्ण भावनामृत में डटे रहना चाहिए‏‎ (2 revisions)
  48. HI/Prabhupada 0558 - हमारी स्थिति तटस्थ है । किसी भी समय, हम नीचे गिर सकते हैं‏‎ (2 revisions)
  49. HI/Prabhupada 0559 - वे मूर्खतावश सोचते हैं कि बस "मैं हर चीज़ का राजा हूँ "‏‎ (2 revisions)
  50. HI/Prabhupada 0560 - जब तक कोई नैतिक चारित्र्य को स्वीकार नहीं करता है, हम दीक्षा नहीं देते हैं‏‎ (2 revisions)

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